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खिलौना उद्योग देगा चीन को जोर का झटका

भारत चीन के बीच तनातनी सिर्फ सीमाओं पर नहीं है, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी पटखनी देने के लिए दांव पेंच चल रहे है। खिलौना कारोबार में दुनिया में बादशाहत रखने वाले चीन को भारत ने चुनौती दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलौना कारोबार में दुनिया में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने का आहवान किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिया है। दिल्ली एनसीआर का पहला खिलौना क्लस्टर यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में विकसित होने जा रहा है। सौ एकड़ जमीन पर खिलौना उत्पादन करने वाली इकाईयां स्थापित होंगी।

द टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया खिलौना क्लस्टर को लेकर बेहद उत्साहित है। इससे भी अधिक उत्साह की बात एसोसिएशन के लिए यह है कि प्रदेश सरकार खिलौना उद्योग के लिए अलग नीति बनाने जा रहा है। एसोसिएशन ने इसके लिए सरकार से मांग रखी थी। नीति तय होने के बाद प्रदेश में अन्य उद्योग की तरह अन्य खिलौना उद्योग को भी तमाम रियायतों का रास्ता साफ हो जाएगा।

एसोसिएशन के मुताबिक देश में खिलौना कारोबार करीब बीस हजार करोड़ रुपये का सालाना है। खिलाैना निर्यात में देश की हिस्सेदारी बेहद कम है। देश में साफ्ट टॉय, एजूकेशन टॉय, लकड़ी आदि सभी तरह के खिलौनों का उत्पादन होता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानकों को लेकर अधिक फोकस नहीं है। दुनिया भर में छाने के लिए मानक भी तय किए गए हैं। खिलौना इकाई के साथ मानक की जांच के लिए प्रयोगशाला एवं नए डिजायन तैयार करने के लिए केंद्र स्थापित करने की अनिवार्यता है। 

केंद्र व प्रदेश सरकार के रुख को देखते हुए खिलौना कारोबारियों ने इस अवसर का फायदा उठाने की तैयारी कर ली है। द टॉय एसोसिएशन आफ इंडिया के समन्वयक एनके गुप्ता का कहना है कि भारतीय  खिलौना उद्योग के लिए यह वक्त संभावनाओं से भरा है। कारोबार के पक्ष में माहौल बन रहा है। सरकार ने नीति एवं आयात शुल्क बढ़ाकर देशी खिलौना उद्योग के लिए माहौल तैयार कर दिया है। क्षमता एवं डिजायन में भारतीय खिलौने दुनियाभर में कमतर नहीं है। भारतीय खिलौना उद्योग नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तैयार है।

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