उत्तर प्रदेशराज्य

हाइब्रिड वाहनों की सब्सिडी पर रोक का कारण

स्वतंत्रदेश ,लखनऊहाइब्रिड वाहन उम्मीद से ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। इसलिए सरकार ने हाइब्रिड वाहनों पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म की है। वहीं सब्सिडी के चलते हयब्रिड वाहनों ने 59 फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया था। पिछले एक वर्ष में जहां 14 हजार चार पहिया इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईबी) की बिक्री हुई वहीं, हाइब्रिड वाहनों की बिक्री 20 हजार से ज्यादा हुई।फैसला ही गलत था, जिसमें सुधार किया गया है। इस फैसले से ईवी बाहनों की विक्री को रफ्तार मिलेगी। प्रदेश सरकार शून्य कार्बन उत्सर्जन वाहनों को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईबी) पर सब्सिडी दे रही है। इस श्रेणी में हाइब्रिड वाहन भी हैं, लेकिन पिछले एक साल में कारों की बिक्री के आंकड़े हैरान करने वाले थे। इस अवधि में प्रदेश में 14375 ईवी कारें पंजीकृत हुई। वहीं, हाइब्रिड और स्ट्रांग हाइब्रिड की संख्या 20568 रही। साफ है कि सब्सिडी पाने वाली कारों में ईथी की हिस्सेदारी जहां 41 फीसदी रही, कहीं हाइब्रिड, स्ट्रांग हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड कारों का आंकड़ा 59 फीसदी रहा।

ईवी की घटती हिस्सेदारी व बढ़ते प्रदूषण के चलते उच्चस्तरीय बैठक में तय किया गया कि शून्य उत्सर्जन नीति के तहत स्ट्रांग हाइब्रिड तकनीक को प्रोत्साहन न दिया जाए। केवल सब्सिडी की वजह से हाइब्रिड श्रेणी के वाहनों की बिक्री 2023-24 में जहां सिर्फ 2.7 फीस थी। वह अब बढ़कर 50 फीसदी हो गई है। आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट कहा गया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल हाईब्रिड वाहन की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। साथ ही 70 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं।

ये होती हैं हाब्रिड कारें

स्ट्रांग हाइब्रिड कारें पेट्रोल इंजन और बैटरी से चलती है, जिनकी बैटरी खुद इंजन से चार्ज होती है। वहीं, प्लग-इन हाइब्रिड कारों में बड़ी बैटरी होती है, जिसे अलग से चार्ज किया जाता है। इससे वे सीमित दूरी तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक मोड पर चलती हैं। यही वजह थी कि हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ ने हाइब्रिड सेगमेंट की कारों पर केवल 25 फीसदी और 50 फीसदी सब्सिडी ही दी थी। अब उसे भी वापस लिया जा रहा है। यूपी में इन वाहनों पर भी पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स में 100 फीसदी सब्सिडी दी जा रही थी।

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