उत्तर प्रदेशराज्य

विश्व जल दिवस : खाली होती जा रही है गगरी

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:आज 22 मार्च को विश्व जल दिवस है। पानी बचाने के संकल्प लिए जाएंगे, लेकिन सालों से लिए जा रहे यह संकल्प पानी में बहते ही नजर आ रहे हैं। हम बात लखनऊ से ही शुरू करते हैं, जहां खाली होती धरती की गगरी को भरने के प्रयास सिर्फ कागजों पर ही दिख रहे हैं। वर्षा जल बचाने के लिए नगर निगम में लगा संयंत्र ही सूख गया है। ऐसे ही हालात दस शहरों में भी दिख रहे हैं और उन्हें अति जल दोहन करने वाले शहरों की सूची में शामिल किया गया है। प्रदेश की 653 स्थानीय निकायों में से 622 में पेयजल की आपूर्ति पूरी तरह से भूजल पर ही निर्भर है। 

आज विश्‍व जल दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन लखनऊ समेत अन्‍य जिलों में पानी का संकट बरकरार है। 

कहीं 50 सेमीमीटर तो कहीं एक मीटर तक। यह हाल है उन शहरों का, जहां हर साल धरती की गगरी से पानी कम हो रहा है। सूखते नलकूप और पोखर पानी के इस दर्द की कहानी को खुद ही बयां कर रहे हैं। अगर शहरी क्षेत्रों पर ही नजर डालें तो पानी के संभावित संकट को लेकर तस्वीर डरावनी सी लगती है। लखनऊ, कानपुर नगर, आगरा, गाजियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, मेरठ में बीते 10 से 15 वर्षों में भूजल स्तर में दस से बारह मीटर की गिरावट आई है। 

लखनऊ में पानी की दर्द भरी कहानी : लखनऊ की स्थिति सबसे भयावह है। यहां जल का दोहन प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में हर दिन करीब 40 लाख लीटर हो रहा है। जलकल महकमा नलकूपों से 35.6 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति प्रतिदिन कर रहा है। इसके अलावा बहुमंजिला भवन, होटल, अस्पताल, औद्योगिकी क्षेत्र, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों, रेलवे और घरों में लगे करीब एक लाख सबमर्सिबल पंपों व गहरी बोरिंग से सौ करोड़ लीटर पानी निकाला जाता है।

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