उत्तर प्रदेशराज्य

विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग का सर्वे

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:भले ही हम ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा बुलंद कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन अभी भी समाज के तमाम लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। 90 फीसद परिवार बेटियों से ज्यादा बेटों की चाह रखते हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली की ओर से दिए गए एक प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के शोध में कुछ ऐसे ही तथ्य सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश के आठ जिलों की इस रिपोर्ट में यह भी पता चला कि 35 फीसद लोगों को पीसी-पीएनडीटी एक्ट के बारे में जानकारी नहीं है। विश्वविद्यालय ने यह रिपोर्ट आयोग को भेज दी है।

यूपी में 90 फीसद परिवार बेटियों से ज्यादा बेटों की चाह रखते हैं।
भले ही हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

वर्ष 2019 में राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली ने लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. रोली मिश्रा को शोध के लिए प्रोजेक्ट दिया था। कन्या भ्रूण हत्या, बिगड़ते ङ्क्षलग अनुपात के समाज पर प्रभाव और पुत्र वरीयता के कारणों का पता लगाने के लिए डा. रोली मिश्रा ने वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी के झांसी, ललितपुर, बागपत, रामपुर, वाराणसी, बलरामपुर, कानपुर और बाराबंकी जिले का चयन किया। सर्वे टीम में उनके साथ रिसर्च अफसर रवि कुमार और फील्ड इंवेस्टिगटर्स के रूप में शिवानी तिवारी, विष्णु कुमार, निधि तिवारी, शुमैला, संजना श्रीवास्तव एवं प्रिया शुक्ल ने अपना सहयोग दिया।

एसोसिएट प्रोफेसर डा. रोली मिश्रा ने बताया कि सर्वे में रिसर्च टीम भी शामिल रही। आठ जिलों के 1280 परिवार का सर्वे किया गया। इनके लिए आठ पेज के 50 प्रश्न तैयार किए गए थे। प्रत्येक परिवार से पूछा गया कि आप पहला बच्चा क्या चाहते हैं ? पहली लड़की है तो क्या दूसरा बच्चा चाहेंगे ? अगर पहला लड़का है तो क्या दूसरा करना चाहेंगे ? डा. रोली के मुताबिक 1152 परिवारों का जबाब था कि पहला बच्चा लड़का चाहेंगे। यदि पहला बच्चा लड़की है तो दूसरा बच्चा लड़का हो।

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