ट्रैफिक कांस्टेबल को तीन साल की कैद
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:स्कूटी का चालान नहीं काटने के एवज में महिला से उसकी अंगूठी लेने के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने ट्रैफिक कांस्टेबल गंगाराम को तीन साल की सजा सुनाई है। विशेष जज संदीप गुप्ता ने गंगाराम पर 20 हजार का अर्थदंड भी लगाया है।
तीन जुलाई 2007 को इस मामले की एफआइआर आकाशवाणी में कार्यरत विभा खरे ने हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई थी। वह ड्यूटी के उपरांत स्कूटी से घर जा रही थी। डीएसओ चौराहे के पास जेब्रा क्रासिंग पर मुल्जिम ने उन्हेंं रोका और स्कूटी के कागजात मांगे थे। उनके पास उस समय कागज मौजूद नहीं थे। विभा ने कहा था कि आप चालान कर दीजिए। इस पर गंगाराम ने उन्हें थाने चलने के लिए कहा था। थोड़ी देर बाद उसने विभा से एक हजार रुपये की मांग की। विभा ने कहा कि उनके पास सिर्फ 100 रुपये हैं। तब गंगाराम ने कहा था कि मैडम, अपनी अगूंठी दे दीजिए। विभा बिल्कुल नर्वस थीं और अपनी अगुंठी उतारकर दे दी थी। उन्होंने इस घटना की शिकायत एसएसपी से की थी।
सरकारी वकील प्रभा वैश्य के मुताबिक ट्रैफिक कांस्टेबलएसएसपी के निर्देश पर सीओ ट्रैफिक ने उस समय उस जगह ड्यूटी पर तैनात रहे की शिनाख्त कराई। विभा खरे ने मुल्जिम की पहचान की। कानपुर में तैनात रहे इस मुल्जिम की उस रोज विधान सभा के गेट नंबर-आठ पर ड्यूटी थी। तीन जून, 2008 को इसके खिलाफ आइपीसी की धारा 392 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं मेें आरोप पत्र दाखिल किया गया था। इसके बाद गुरुवार को उसे तीन साल की सजा सुनाई गई।
दुराचारी को 10 साल की कैद
रोजगार के लिए गांव से शहर आई एक महिला के साथ दुराचार करने वाले मुल्जिम संतोष को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 10 हजार का अर्थदंड भी लगाया है। विशेष जज अन्जू कनौजिया ने इस मामले में संतोष के पिता पच्चू लाल व मां फुल कुमारी को भी छह-छह माह के कैद की सजा सुनाई है। सरकारी वकील अरुण पांडेय के मुताबिक इन दोनों पर पीडि़ता को कैद में रखने का आरोप है। 23 मई, 2016 को पीडि़ता ने इस मामले की एफआइआर निगोहां थाने में दर्ज कराई थी। वह रोजगार के सिलसिले में लखीमपुर के एक गांव से लखनऊ आई थी।