उत्तर प्रदेशराज्य

अवध बस डिपो में टिकट घोटाला, 6.50 लाख रुपये के टिकट गायब

स्वतंत्रदेश,लखनऊरोडवेज के कैसरबाग स्थित अवध बस डिपो में टिकट घोटाला सामने आया है। डिपो के बैग कक्ष से 10 गड्डी मैनुअल टिकटों की गायब कर दी गई, जिसकी कीमत 6.50 लाख रुपये थी। गबन की जांच हुई, जिसके बाद तीन कर्मचारियों को निलम्बित कर दिया गया। जबकि बैग कक्ष की इंचार्ज महिलाकर्मी भी निशाने पर है और उससे जवाब-तलब किया गया है।

उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के अवध बस डिपो का प्रकरण है। रोडवेज बसों में इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीनों से टिकट बनाए जाते हैं। साथ ही कंडक्टरों को मैनुअल बनाए जाने वाले टिकट भी दिए जाते हैं, ताकि मशीन खराब होने की स्थिति में टिकट बनाए जा सके। इन मैनुअल टिकटों की गड्डियों को ही पार कर दिया गया है। मामला 29 जुलाई का है। जब डिपो के बैग कक्ष से टिकटों की दस गड्डियां गायब हुईं। इसके बाद 31 अगस्त को मामला उजागर हुआ, जब टिकटों की संख्या कम पाई गई। अकाउंटेंट से डिटेल मांगी गई, पर उसने नहीं दी। इसके बाद छह सितम्बर को मामले की जांच बिठाई गई। जांच रिपोर्ट आने के बाद तीन कर्मी दोषी पाए गए, जिन्हें निलम्बित कर दिया गया है।

इन्हें किया गया निलम्बित
अवध बस डिपो में हुए टिकट घोटाले में तीन कर्मचारियों पर गाज गिरी है। मामले की जांच में जिस तारीख को गड्डी गायब हुई, उस समय यही तीन कर्मचारी तैनात थे। इनमें डिपो के दो बस कंडक्टर दिनेश कुमार श्रीवास्तव और अनुज मिश्र के अतिरिक्त लिपिक राजेश श्रीवास्तव शामिल पाए गए। तीनों कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इतना ही नहीं बैग कक्ष प्रभारी मधु श्रीवास्तव भी रडार पर हैं और उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।

इतनी कीमत की थीं गड्डियां
मामले की जांच रिपोर्ट के मुताबिक बस डिपो से दस गड्डियां टिकट गायब हुई हैं। ये टिकट 351 रुपये के ऊपर कीमत के थे। मसलन, इन टिकटों पर उन यात्रियों को ही टिकट बनाए जा सकते थे, जिनकी कीमत 351 रुपये से अधिक व 1700 रुपये से कम हो। प्रत्येक गड्डी में पचास टिकट थे। जांच के बाद टिकटों को निष्प्रयोज्य घोषित कर सभी परिक्षेत्रों को सूचित कर दिया गया है। लेकिन अभी तक गायब हुए टिकटों के गड्डियां बरामद नहीं हो सकी हैं।

महीनेभर तक अफसरों ने दबाया मामला
अवध बस डिपो में टिकट घोटाले का मामला बीती 29 जुलाई को सामने आया था। इ

सके बाद आला अफसर महीनेभर तक इसे दबाए रखे। शरूआती जांच अकाउंटेंट को सौंपी गई थी। लेखाकार ने संजीदगी नहीं दिखाई, जिसके बाद दूसरों से जांच कराई गई। जिसकी वजह से सितम्बर में मामला उजागर हो सका।

टिकटों की बिक्री घटी तो खुल गया मामला
डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक सत्य नारायण चौधरी ने बताया कि टिकटों के गायब होने का मामला तब खुला, जब बस में यात्री लोड फैक्टर की समीक्षा में बिक्री कम होने की बात सामने आई। इसके बाद टिकट जारी करने वाले रजिस्ट्रर की जांच की गई, जिसमें साढ़े छह लाख रुपये के टिकटों के दस गड्डियां गायब मिली।

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