गोमतीनगर के दस हजार भूखंडों में ‘बसे’ सांप-बिच्छू
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : एलडीए में सचिव रहे एक अधिकारी ने विवेक खंड-तीन में वर्ष 1983 में भूखंड आवंटित कराया था लेकिन, आज तक वहां कोई निर्माण नहीं हो सका। वहीं, एलडीए का नियम है कि तीन साल में निर्माण न होने पर आवंटन निरस्त माना जाएगा। यही क्यों, 3200 वर्गफीट के इस भूखंड के सामने एक इंजीनियर का भी प्लाट खाली पड़ा है। इन दोनों के साथ ही 7500 वर्गफीट के इन जैसे सैकड़ों भूखंड खाली पाए गए हैं। खाली भूखंड काली कमाई का हिस्सा माने जा रहे हैं, जो बेनामी भी हो सकते हैं। गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति का दावा है कि ऐसे खाली भूखंडों की संख्या करीब दस हजार के आसपास है। नगर निगम को भी पत्र लिखकर खाली भूखंड के मालिक के खिलाफ कार्रवाई करने को पत्र लिखा गया है।
गोमतीनगर निवासियों ने सांप, बिच्छुओं, गंदगी और अराजक तत्वों का बसेरा बन रहे खाली भूखंडों के खिलाफ अभियान छेड़ा तो इनकी संख्या 10 हजार के आसपास पाई है। अभी कई भूखंडों से रिपोर्ट आनी बाकी है। यहां के निवासियों का कहना है कि खाली भूखंड गंदगी का अड्डा बन रहे हैं। सांप-बिच्छुओं समेत अन्य कीड़ों का बसेरा हो रहा है।
20 साल से खाली
20 साल से अधिक समय बाद इन भूखंडों के खिलाफ पहली बार इस तरह का आंदोलन चालू हुआ है। करीब 44 हजार भवनों व भूखंडों का कर निर्धारण ही नगर निगम में दर्ज है, जबकि गोमतीनगर के सभी खंडों में 70 हजार भवन व भूखंडों का आवंटन एलडीए ने समय-समय पर किया था।
कहीं बेनामी संपत्तियां तो नहीं
लंबे समय से खाली भूखंडों को लेकर अब यह चर्चा होने लगी है कि कहीं यह बेनामी संपत्तियां तो नहीं हैं, जो अफसरों व अन्य ने अपने नौकरों और अन्य के नाम खरीदी थी। उसकी कीमत हर साल और बढऩे का इंतजार कर रहे हैं।