उत्तर प्रदेशराज्य

499 वर्ष बाद पड़ रहा नक्षत्र का संयोग

स्वतंत्रदेश , लखनऊ । श्रीलंका विजय कर वापस अयोध्या आए श्रीराम के स्वागत में सजे दीपक का उल्लास दीपोत्सव के आयोजन का द्योतक है। इस बार की दीपावली का योग जहां 499 साल के बाद पढ़ रहा है तो सौभाग्य के योग और स्वाति नक्षत्र के संयोग ने दीपावली को खास बना दिया है।

इस बार की दीपावली का योग जहां 499 साल के बाद पढ़ रहा है तो सौभाग्य के योग और स्वाति नक्षत्र के संयोग ने दीपावली को खास बना दिया है।

14 नवंबर को शनिवार है और अमावस्या की शुरुआत दोपहर में हो रही है। सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र का संयोग है। आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि दाेपहर 2:17 बजे से 15 नवंबर को सुबह 10:36 तक अमावस्या रहेगी। लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेयस्कर होगा। काली पूजा अमावस्या की मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है।

दीपावली पर कब कहां करें लक्ष्मी पूजन

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि समय के अनुरूप पूजन करना श्रेयस्कर होगा।कुंभ लग्न- मध्याह्न 12:37 बजे से दोपहर 2:09 बजे तक व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पूजन करना विशेष फलदायी होगा। शाम को प्रदोष काल शाम 5 :12 बजे से 7:52 बजे तक और वृषभ लग्न शाम 5:16 बजे से शाम 7:13 बजे तक रहेगी। दोनों ही समय घर में पूजन करना उत्तम होगा। सिंह लग्न रात्रि 11:44 बजे से 1:58 बजे तक रहेगी जिसमे साधना की जा सकती है।

दान से मिलेगा पुण्य

आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बतायाकि दीपावली के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु के निर्मित दीपक प्रज्वलित करें । दीपावली के दिन दोपहर में पितरों के निमित्त यथा शक्ति दान दें और तर्पण करने से विशेष पुण्य मिलेगा। महाकाली पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति और शत्रु भय से मुक्ति के साथ मुकदमें में विजय प्राप्त् होती है। दीपावली पर दक्षिणावर्तीं शंख, श्री यंत्र, गोमती चक्र, मां लक्ष्मी, कुबेर यंत्र, हल्दी की गांठ और छोटा नारियल के साथ पूजन करना चाहिए।

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