जिम-मॉर्निंग वॉक करते वक्त एन-95 मास्क लगाना घातक
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : अनलॉक के बाद फिटनेस के शौकीन सुबह-शाम जिम में पसीना बहा रहे हैं। उधर मॉर्निंग वॉकर्स से पार्क भी गुलजार हैं मगर, कोरोना काल में सेफ्टी के साथ की जा रही यह कवायद मुश्किल खड़ी कर रही है। दरअसल, कसरत के वक्त एन-95 मास्क घातक साबित हो रहा है। ट्रेडमिल हो या मैदान पर मास्क लगाकर दौडऩा, दोनों में शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते सिर चकराने की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
कोरोना काल में वायरस से बचाव के लिए लोग एन-95 मास्क के प्रयोग पर जोर दे रहे हैं। लोहिया संस्थान के रेस्पिरेटरी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार के मुताबिक, जिम-मॉर्निंग वॉक, रनिंग करते वक्त एन-95 मास्क लगाना घातक है। कारण, कसरत के वक्त शरीर में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में एन-95 मास्क के महीन छिद्रों से जहां शरीर को तय समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, वहीं कार्बन डाइऑक्साइड भी बाहर नहीं निकल पाती। लिहाजा, कसरत के वक्त व्यक्ति के सिर में दर्द, चक्कर आने जैसी समस्या हो रही है। यही कारण है कि मास्क प्रयोग करने को लेकर सतर्क रहना होगा। इससे ब्रेन में ऑक्सीजन न पहुंचने पर हाईपोक्सिया भी हो सकता है। अस्थमा व सीओपीडी (क्रॉनिकल ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों में अटैक का खतरा बना रहता है।
आंखों में संक्रमण का बढ़ जाता खतरा
लोहिया संस्थान में मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. विक्रम सिंह कहते हैैं कि एन-95 मास्क नाक-मुंह पूरी तरह कवर करता है। ऐसे में कई बार एक्स हेल्ड एयर (बाहर सांस फेंकना) के वक्त हवा आंख में पहुंच जाती है। इससे आंख में जलन होने लगती है। व्यक्ति बार-बार हाथ आंख के पास ले जाता है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
बढ़ जाता है टाइडल वैल्यूम, नाक-कान पर निशान
डॉ. विक्रम कहते हैैं कि सीओपीडी के रोगियों को अधिक देर तक मास्क लगाना मुश्किल हो जाता है। वह असहज महसूस होने पर कपड़े से मुंह को ढक सकते हैं। मास्क टाइट बंधा होने से कॉर्बन डाइऑक्साइड सामान्य तरह से बाहर नहीं जा पाती है। शरीर में कॉर्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होने लगती है। इसे बाहर निकालने की लिए मरीज जल्दी-जल्दी सांस लेते है।