सीएम योगी के आदेश पर लखनऊ में एक लाख वर्गमीटर भूमि कब्जामुक्त
स्वतंत्रदेश,लखनऊअब तक की संभवत: सबसे बड़ी कार्रवाई में कुकरैल नदी के बहाव क्षेत्र के एक लाख वर्गमीटर क्षेत्र को मात्र आठ दिन में अतिक्रमण मुक्त करा दिया गया। लखनऊ के हृदय स्थल पर 40 वर्ष से अवैध ढंग से बसा अकबरनगर अब इतिहास बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल इन समाचारों का संज्ञान लिया, बल्कि व्यक्तिगत रुचि लेकर अवैध कब्जों के मकड़जाल को समूल उखाड़ फेंका।दौरान जिनके घर टूटे उनका पुनर्वासन भी बसंतकुंज में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करा दिया गया है। कब्जों से मुक्त कराई गई भूमि को अब इस तरह सजाने संवारने की योजना है कि कुकरैल के संरक्षण के साथ उसका सौंदर्य भी बढ़े।
रिवर फ्रंट बनाए जाने की योजना
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की योजना है कि यहां साबरमती तट के तर्ज पर रिवर फ्रंट बनाया जाएगा। नाइट सफारी विकसित की जाएगी। यही नहीं, यहां ट्राम वे, पाथ वे भी बनाए जाएंगे। कुकरैल नदी का गोमती नदी में होता है, लेकिन कुकरैल नदी में अवैध कब्जे इस तरह से होते गए कि यह नाला बन गई थी। 55 नाले भी उसमें गिर रहे थे। यहां बड़े-बड़े शोरूम से लेकर बेसमेंट तक में निर्माण हो गए थे।
1320 अवैध आवासीय निर्माणों पर बुलडोजर चला
मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद एलडीए, नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस टीम ने दिन-रात एक कर दिया। कार्रवाई के दौरान समाजवादी पार्टी ने विरोध कर राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत न मिलने से विरोध करने वाले खुद ही पीछे होते गए। कार्रवाई के पहले चरण में अकबर नगर प्रथम और द्वितीय में कुल 1320 अवैध आवासीय निर्माणों पर बुलडोजर चला तो 101 अवैध शोरूम भी धराशायी किए गए। अवैध कब्जे के दायरे में आई तीन मस्जिद, दो मदरसों के साथ ही चार मंदिरों को भी हटाया गया।
डा. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि खाली कराई गई जमीन की न्यूनतम कीमत लगभग एक हजार करोड़ रुपए है। कार्रवाई के साथ ही 1898 लोगों को पीएम आवासों का आवंटन भी किया गया है। नगर निगम के 42 ट्रकों से प्रतिदिन कब्जाधारकों का सामान बसंत कुंज योजना पहुंचाया गया और वहां आवंटियों को कब्जा दिलाया गया।
सीएम योगी ने दिया था आदेश
दैनिक जागरण में 25 मई 2023 को छपी खबर का मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया था और उन्होंने कुकरैल नदी क्षेत्र में हुए अवैध कब्जों को हटाने का आदेश दिया था। उसे साबरमती रिवरफ्रंट की तरह बनाने का निर्देश दिया था। इस कार्रवाई के लिए सर्वे, नोटिस और फिर हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आठ महीने लंबी लड़ाई भी लड़नी पड़ी। प्रतिदिन औसतन 120 पक्के और बड़े अवैध निर्माण को तोड़ते समय एक बार जेसीबी पलटी, पोकलैंड खराब भी हुए, लेकिन कार्रवाई नहीं रुकी।