नई गाइडलाइन जारी,साफ अक्षरों में लिखना होगा दवाओं के नाम
स्वतंत्रदेश, लखनऊ:अब डॉक्टरों को मरीजों के इलाज के लिए लिखी गईं दवाएं पर्चे पर साफ-साफ लिखनी होंगी, वह भी बड़े अच्छरों में। उनकी लिखावट ऐसी होगी कि आम लोग भी आसानी से पढ़ सकेंगे। यही नहीं, उन्हें जेनरिक दवाएं ही लिखनी होंगी। इसे लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने नई गाइडलाइन जारी की है।गाइडलाइन में साफ तौर पर कहा गया है कि ये नियम सभी आरएमपी (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टीशनर) पर लागू होंगे। सरकार से मान्यता प्राप्त चिकित्सा शिक्षा संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने के पश्चात भारत सरकार के नेशनल मेडिकल कमीशन में पंजीकृत होने वाले डॉक्टर इस श्रेणी में आते हैं। इन डॉक्टरों के पर्चा का नमूना भी जारी किया गया है। इस पर डॉक्टर का नाम, पंजीकरण संख्या, आपातकालीन नंबर, रोगी का नाम, उम्र, श्रेणी, भार आदि का भी जिक्र करना है। अधिकतर डॉक्टर अपने पर्चों पर दवाइयों का नाम स्पष्ट नहीं लिखते हैं। इनमें से कई नाम तो ऐसे होते हैं, जो पढ़ने में ही नहीं आते, लेकिन मेडिकल स्टोर संचालक पर्चा देखते ही इसे समझ जाते हैं। कई बार मरीजों को किसी खास दवा के लिए घंटों तक दुकान-दुुकान भटकना पड़ता है। लेकिन अब एनएमसी की नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि डॉक्टर पर्चे पर दवाओं का नाम स्पष्ट रूप से बड़े अक्षरों में लिखें। संभव हो तो नाम टाइप करा दें। इससे मरीज व तीमारदार गलत दवाइयां लेने से बच सकेंगे।
इसके अलावा केवल जेनरिक दवाएं ही लिखनी होंगी। गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 30 से लेकर 80 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। कुछ दवाएं ब्रांडेड जेनरिक की श्रेणी में हैं। वह ब्रांडेड से तो सस्ती होती हैं, लेकिन जेनरिक से महंगी होती हैं। इसलिए डॉक्टरों को चाहिए कि इस श्र्रेणी में केवल जेनरिक दवाएं ही मरीज को लिखें। इसके अलावा ऐसी दवा का नाम लिखें, जो दवा की दुकानों पर सामान्य रूप से उपलब्ध हो।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि दवाओं का नाम स्पष्ट रूप से लिखने का नियम ठीक है, लेकिन केवल जेनरिक दवाएं लिखने का नियम गलत है। आईएमए सचिव डॉ. अमित मिश्रा का कहना है कि केवल जेनरिक दवाएं लिखना का सीधा असर मरीजों की देखभाल और सुरक्षा पर पड़ता है। इससे हम मरीज को मेडिकल स्टोर के भरोसे छोड़ देंगे। सिर्फ फार्मूला लिखने पर मेडिकल स्टोर संचालक उसे कोई भी ऐसी दवा दे सकता है, जो रोग ठीक करने में पूरी तरह से कारगर न हो।