उत्तर प्रदेशराज्य

नौकरी का झांसा देकर करोड़ो लूटे

स्वतंत्रदेश,लखनऊ: कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉक डाउन ने साइबर फ्राड के नए-नए तरीकों को भी जन्म दिया है। एक ओर लॉक डाउन के बाद नई नौकरी की तलाश में जुटे युवा हैं तो दूसरी ओर इस मौके का लाभ उठाकर ठगी करने वाले जालसाज। ऐसा ही एक बड़ा मामला एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) की जांच में सामने आया है। साइबर फ्राड के इस गंभीर मामले में नौ युवतियां भी संलिप्त थीं और अब उन पर कानूनी शिकंजा कस चुका है। यह खबर खासकर उन युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो इन दिनों नौकरी की तलाश में विभिन्न वेबसाइट पर आवेदन कर रहे हैं। उन्हें नौकरी से जुड़ी हर कॉल को न सिर्फ बेहद सावधानी से सुनना-समझना है, बल्कि किसी को भी ऑनलाइन पेमेंट करने के दौरान हर कदम संभालकर उठाना है।

गाजियाबाद में कॉल सेंटर के जरिए गिरोह करता था धांधली। सरगना व नौ युवतियों समेत 12 आरोपित गिरफ्तार। गिरोह अब तक 700 से अधिक युवक और युवतियों को अपने जाल में फंसाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका था।

एसटीएफ व लखनऊ पुलिस की संयुक्त टीम ने गाजियाबाद से गिरोह के मास्टर माइंड शादाब खान, अंकित कुमार कौशिक व महबूब समेत 12 आरोपितों को पकड़ा है। गिरोह अब तक 700 से अधिक युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका था। ठगी के इस मामले के पकड़े जाने की बुनियाद लखनऊ से और तार गाजियाबाद से जुड़े हैं। लखनऊ के रहीमनगर की निवासी शिवानी वारा ने बीते दिनों नौकरी के लिए शाइन डाटकाम पर आनलाइन आवेदन किया था। शिवानी के मोबाइल पर 19 अगस्त को एक कॉल आई, जिसमें महिला ठग ने खुद को एक प्रतिष्ठित बैंक का एचआर मैनेजर होने का दावा किया। युवती ने शिवानी को अपनी बैंक में नौकरी का ऑफर दिया। चूंकि काल एक युवती ने की थी, लिहाजा शिवानी ने आसानी से भरोसा कर लिया। बस, यहीं से ठग गिरोह ने अपना जाल बुनना शुरू कर दिया।

युवती ने शिवानी को नौकरी के लिए भरोसे में लेने के बाद वॉट्सएप पर एक लिंक भेजने की बात कही और बताया कि इसके जरिए उन्हें अपना आवेदन करना होगा और रजिस्ट्रेशन के लिए 10 रुपये की मामूली रकम अपने डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड से चुकानी होगी। शिवानी के राजी होते ही युवती ने वॉट्सएप पर एक लिंक भेजा, जो वास्तव में फिशिंग लिंक था। एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह के अनुसार गिरोह ने दो फर्जी वेबसाइट बना रखी थीं। जिनके जरिए फिशिंग लिंक भेजे जाते थे, जिसके बाद सॉफ्टवेयर की मदद से रिमाेट एक्सेस हासिल कर ली जाती थी। यानी किसी युवक-युवती के क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड से पेमेंट करने के दौरान गिरोह बिना उसकी जानकारी के उसके खाते से मनचाही रकम निकाल लेते थे। शिवानी के साथ भी यही हुआ।

युवती के खाते से तीन बार उड़ाई रकम

शिवानी ने जब रजिस्ट्रेशन के लिए 10 रुपये की आनलाइन पेमेंट की तो उसके खाते से एक हजार रुपये निकल गए। शिवानी के शिकायत करने पर गिराेह ने उन्हें फिर रकम रिफंड करने का झांसा देकर दोबारा फिशिंग लिंक भेजा और शिवानी के रिफंड की जाने वाली रकम 990 रुपये भरते ही उनके खाते से इस बार 49 हजार रुपये निकाल लिए गए। इसके बाद फिर शिवानी को रकम रिफंड करने का भरोसा दिलाकर इसी तरह उनके खाते से एक बार और 49 हजार रुपये उड़ा लिए गए। ठगी का एहसास होने पर शिवानी ने महानगर कोतवाली में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद मामले में एसटीएफ सक्रिय हुई और सर्विलांस के जरिए आखिरकार उसके हाथ गिरोह तक पहुंच गए।

12वीं पास शादाब ने बुना ठगी का जाल

गिरोह का सरगना शादाब 12वीं तक पढ़ा है। पूछताछ में शादाब ने बताया कि वह 2016 में नोएडा में निजी फोन कंपनी के कस्टमर केयर में काम करता था। इसके बाद एक अन्य इलेक्ट्रानिक कंपनी के गुड़गांव स्थित कस्टमर केयर में नौकरी की। जिसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर व तकनीकी सपोर्ट से जुड़ी कंपनी में काम किया और कई बारीक जानकारियां जुटाईं। शादाब ने जुलाई 2020 में गाजियाबाद में अपना कॉल सेंटर खोला और उसके बाद साइबर फ्राड में लिप्त हो गया। पुलिस के अनुसर गिरोह क्विक सपोर्ट एंड ऐनीडेस्क साॅफ्टवेयर की मदद से क्रेडिट व डेबिट कार्ड की डिटेल हासिल कर आनलाइन ठगी करता था। वॉट्सएप पर फिशिंग लिंक भेजने के लिए साइन जॉब सेलेक्शन डाट इन नाम से फर्जी वेबसाइट बनाई गई थी।

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