उत्तर प्रदेशराज्य

पहले चरण में दो दर्जन मंत्रियों की साख दांव पर

स्वतंत्रदेश , लखनऊ:नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश सरकार के दो दर्जन से अधिक मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। मंत्रियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में तो पार्टी को चुनाव जिताना ही है, साथ ही प्रभार वाले जिले में भी कमल खिलाने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाना है। चुनाव में मंत्रियों के राजनीतिक कौशल के साथ प्रशासनिक दक्षता की भी परीक्षा हो रही है।

भाजपा निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास मानकर लड़ रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि निकाय चुनाव के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव तक रहेगा। लिहाजा पार्टी ने सभी 17 नगर निगमों और जिला मुख्यालयों की नगर पालिका परिषदों में कब्जा जमाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभी 75 जिलों का चुनावी दौरा कर रहे हैं। 

वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी भी एक एक दिन में दो से तीन जिलों में चुनावी सभाएं और संपर्क कर रहे हैं। भाजपा ने सरकार के मंत्रियों के परिवारजन को प्रत्याशी नहीं बनाया है। लेकिन मंत्रियों का जिले में वर्चस्व बनाए रखने के लिए प्रत्याशी चयन में उनकी राय को महत्व दिया गया है। 

उधर, प्रदेश की बड़ी नगर निगम और नगर पालिका परिषदों में भाजपा ने सरकार के मंत्रियों को प्रभारी के रूप में तैनात किया है। यही वजह है कि मंत्रियों पर अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ प्रभार वाले जिले में भी पार्टी प्रत्याशी की जीत की जिम्मेदारी है। पार्टी ने युवा मंत्रियों के साथ दूसरे दलों से आए मंत्रियों को भी संगठनात्मक जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए निकाय चुनाव की कमान सौंपी है। 

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