उत्तर प्रदेशखेल

लखनऊ का ‘गौरव’

लखनऊ  भारतीय पैरा बैडमिंटन के इतिहास में पहली बार किसी कोच को देश का प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने जा रहा है। यह लखनऊ के लिए गौरव की बात है, क्योंकि यहीं के पूर्व खिलाड़ी एवं भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच गौरव खन्ना वह शख्स हैं जो 29 अगस्त यानी खेल दिवस पर इतिहास रचने जा रहे हैं।

गौरव को भी उस ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार है। वह कहते हैं कि सच कहूं तो मैं खुली आंखों से सपना देख रहा हूं, जो जल्द पूरा होने जा रहा है। हर सफल कोच को इस खास दिन का इंतजार होता है। एक कोच के तौर पर मैंने सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाई। असली काम तो हमारे खिलाडिय़ों ने पदक जीतकर किया। अगर वे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में बढिय़ा प्रदर्शन नहीं करते तो शायद मुझे इस सम्मान के काबिल नहीं समझा जाता।

इस ‘द्रोण’ ने दिए तीन

‘अर्जुन’गौरव खन्ना के मार्गदर्शन में भारतीय खिलाडिय़ों ने वर्ष 2014 से अब तक रिकॉर्ड 314 पदक जीते हैं। जिनमें रिकॉर्ड 96 स्वर्ण पदक शामिल है। खास बात यह है कि उनके शिष्य रहे राजकुमार वर्ष 2017 और मनोज सोनकर 2018 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। वहीं प्रमोद भगत 2019 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजे जाएंगे। गौरव के नेतृत्व में ही पिछले वर्ष भारत ने पैरा बैडमिंटन वल्र्ड चैंपियनशिप में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए तीन स्वर्ण, चार रजत और छह कांस्य सहित कुल 13 पदक जीतने में बड़ी सफलता हासिल की थी। इससे पहले वर्ष 2015 में भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों ने वल्र्ड चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण सहित कुल 11 पदक जीते थे।

परिवार ने निभाई खास भूमिका

वर्ष 2000 में एक सड़क दुर्घटना में गौरव आंशिक रूप से दिव्यांग हो गए। परिवार की ही देखरेख में अपनी टे्रनिंग की शुरुआत की थी। हालांकि, इस दौरान गौरव की ट्रेनिंग और अच्छे खान-पान की जिम्मेदारी उनकी पत्नी ने बखूबी निभाई। गौरव बताते हैं कि भारत सरकार ने अगर मुझे इस प्रतिष्ठित सम्मान के लायक समझा है तो इसका श्रेय मैं अपनी पत्नी सहित पूरे परिवार को दूंगा। जिस समय मैं चोटिल हुआ था, उम्मीद ही टूट गई थी कि शायद कभी कोर्ट पर वापसी कर पाऊं। परिवार ने न सिर्फ मदद की बल्कि, मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ाया।

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