उत्तर प्रदेशलखनऊ

4 साल से मृतक आश्रितों को नियुक्ति नहीं

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:सुसाइड का टाइम आ गया है, अब इसके जिम्मेदार परिवहन मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार होगी।” ये लाइन अभी पटेल के ट्वीट की है। अभी के पिता यूपी परिवहन निगम में बस कंडक्टर थे। रिटायरमेंट के पहले ही मौत हो गई। जिसके बाद अभी को नौकरी मिलनी थी। 4 साल बीत गए लेकिन नियुक्ति नहीं मिली।

ऐसा सिर्फ अभी पटेल के साथ नहीं बल्कि 815 लोगों के साथ है। ये सभी उन बस ड्राइवर और कंडक्टर के बच्चे हैं जिनके पिता की नौकरी के दौरान ही मौत हो गई। नियुक्ति की मांग को लेकर ये सभी प्रदर्शन कर चुके हैं। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह से मिल चुके हैं। विभाग के अधिकारियों से मिल चुके हैं। लेकिन सिवाय आश्वासन के अभी तक कुछ नहीं मिला।

हाथरस के शिवम शर्मा ने सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा, “मेरे पिता अलीगढ़ क्षेत्र में कार्यरत थे। कोरोना आया तब सबसे पहले 2 सितंबर 2020 को मेरी बहन की मौत हुई। 15 अप्रैल 2021 को मेरे पापा और 16 अप्रैल को मेरी दादी की भी मौत हो गई। मैं खुद कोरोना संक्रमित रहा। अब मेरे परिवार में मैं और मेरी मां ही हैं।” इसके आगे उन्होंने पत्र के जरिए सरकार से नौकरी की मांग की।

4 साल से सिर्फ आश्वासन मिला
मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली-1974 के अनुसार होती है। पिछली बार परिवहन विभाग में 4 साल पहले 588 पदों पर भर्ती की गई थी। इसके बाद विभाग डेटा इकट्ठा करता रहा। लेकिन किसी की नियुक्ति नहीं हुई। मृतक आश्रितों की कुल संख्या अब 815 हो गई है। इनमें ज्यादातर उन ड्राइवर और कंडक्टर के बच्चे हैं जिनकी मौत एक्सीडेंट में हुई है।परिवहन विभाग से जुड़े करीब 55 हजार कर्मचारी निजीकरण की आशंकाओं से डरे हुए हैं। इसमें 17 हजार नियमित कर्मचारी हैं और 38 हजार संविदा पर रखे गए हैं। अगर बसें निजी हाथों में सौंपी जाती हैं तो संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को दिक्कत हो सकती है। दूसरी तरफ सरकार की तरफ से नई भर्तियों की संभावना भी कम होगी। मृतक आश्रितों को नौकरी मिलने की संभावना खत्म होगी।

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