ध्वनि विज्ञान पर आधारित
मंत्र पूरी तौर पर ध्वनि विज्ञान पर आधारित है, जैसे कि आधुनिक चिकित्सा जगत में अल्ट्रासाउंड ध्वनि विज्ञान पर आधारित है। जिस प्रकार से योग और दूर बोध ;टेलीपैथीद्ध को विज्ञान सम्मत करार दिया गया है, ठीक वैसे मंत्र भी विज्ञान सम्मत हैं। मंत्र की वास्तविक परिभाषा है, ‘मननात जायते इति मंत्र’-अथवा जिसके मनन से जपने से, ध्यान रहे जाप बिना उच्चारण के भी होता हैंद्ध जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाए वही मंत्र है। मंत्र की दूसरी परिभाषा हैं, जिसके उच्चारण या बोलने से हमारे समस्त कार्य पूरे हो जाएं वही, मंत्र है। मंत्र ध्वनि विज्ञान का एक परम शक्तिशाली अविष्कार है। मंत्र शब्दों का एक सुंदर संगठन है जिसे सुनकर मनुष्य का चित्त शांत होता है और चित्त की शांति सुख व आनंद की मूल है। मंत्रों के अंतर्गत शब्दो का सुन्दर संगठन करके हमारे षियों ने हमें एक ऐसा विज्ञान दिया है जिसने हमें बहुत कुछ करने में समर्थ कर दिया है।
ध्वनि शक्ति के चमत्कार शब्दों की ध्वनि में बड़ी शक्ति होती है। उदाहरण स्वरूप जब एक अच्छा अभ्यासी की संगीतकार गीत गाता है तो सुनने वाले एकदम मंत्र-मुग्ध होकर हिलने लगते हैं, किंतु वही गीत और सरगम जब अन्य अनभ्यासी व्यक्ति गाता है तो लोग उठकर चले जाते हैं, क्योंकि वह उसके साथ समुचित उच्चारण ;बोलद्ध नहीं कर पा रहंा है। ठीक इसी प्रकार मंत्रों का शु( रूप उच्चारण करने पर हमारे मन के अंदर निहित उळर्जा संभावित देवताओं के आह्वान प्रतीक से जाग्रत होती है। जरा ध्यान दीजिएगा बात मंत्र और ध्वनि विज्ञान के संदर्भ में हो रही है। इसी क्रम में मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि गाली देने पर हमें क्यों बुरा लगता है ? संगीत से हमें आनंद व प्रसन्नता क्यों मिलती है ? गर्जना से हमें डर क्यों लगता है और रोने पर दूसरे ढंग का अनुभव क्यों होता है ? असल में इन सभी दृष्टतों के मूल में ध्वनि का ही चमत्कार है। ध्वनि से पशु पक्षियों को भी अपने वश में किया जा सकता है। मृग का संगीत प्रेम सभी जानते हैं। बाबा हरिदास बैजू बावरा, तानसेन आदि महान संगीतकारों द्वारा बजाई गई रागों में मेघ ;बरसात होनाद्ध, दीपक, मल्हार का प्रभाव तो सभी जानते ही हैं। सम्राट अकबर के समकालीन रहे बैजू बावरा ने चकेरी नरेश राजा राज सिंह को ‘पुरिया’ राग की ध्वनि तरंगों से रोगमुक्त कर दिया था। चकेरी नरेश वर्षों से नींद न आने अनिद्राद्ध की व्याधि से ग्रस्त थे।
वैज्ञानिक प्रयोग
पशु मनोविज्ञान के ख्यातिलब्ध विद्वान जाॅर्ज केरविंसन ने अपने प्रयोगों से यह सि( कर दिखाया है कि पियानो की आवाज से मुग्ध होकर चूहों को उनके बिलों से दिन में भी निकाला जा सकता है। फ्लोरिडा ;अमेरिकाद्ध के वैज्ञानिक डाॅ॰ पाॅल रिचड्र्स ने संगीत लहरियों के जरिए मछलियां पकड़ने की विधि ईजाद की है। – डाॅक्टर रिचड्र्स का मानना है कि ध्वनि की क्षमता विलक्षण है। इसके जरिए मनुष्य तो क्या अन्य जीव जंतु के अतिरिक्त जड़ पदार्थों को भी प्रभावित किया जाता है। ब्रिटेन में एक ऐसी महिला है जो विभिन्न स्वर लहरियों के माध्यम से चित्र बना देती है। इस महिला का नाम वाट्स ह्यूज है। वाट्स ने एक किताब भी लिखी है जिसका नाम है ‘वायस फिगर्स’। ब्रिटेन की सर्वाधिक बिकने वाली किताबों की सूची में इसका नाम भी दर्ज है। इस किताब में वाट्स ने अपने उस वाद्य यंत्र का जिक्र किया है जिसकी स्वर लहरियों से वह चित्र बनाती है।
ध्वनि शक्ति के अद्भुत प्रभाव से इंसान तो क्या पत्थर भी अछूते नहीं है। ब्रिटेन में एक विश्व में विख्यात पर्यटन स्थल है, जिसका नाम है। स्टोन हेव्स में पथरों के टुकड़ों या पाषाण खंड़ों की एक लंबी श्रृंखला है। इन पत्थरों की एक सिफत यह है कि जब भी कोई स्वर लहरी इसके समीप गूंजती है तो ये पत्थर थरथराने लगते है । इनमें कंपन होने लगता है। ऐसा लगता है कि ये पत्थर अब भरभरा कर ढह जाएंगे। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के साथ अन्य देशों के वैज्ञानिक अभी तक है। यह नहीं जान सके हैं कि इन पत्थरों में ध्वनि लहरियों के कारण कंपन क्यों होने लगता है?
मंत्र शक्ति महान है। वैदिक हिंदू धर्म- संस्कृति में अनेक मंत्र है। प्रत्येक मंत्र का बीज अक्षर व देवता अलग होता है और उसके उच्चारण की विधि भी अलग होती है। इसलिए सद्गुरू के परामर्श से ही मंत्रांे का उच्चारण सीखना चाहिए। मंत्रों के उच्चारण से आपके मन-मस्तिष्क में सकारात्मक उळर्जा का संचार होता है। यह सकारात्मक उळर्जा ही आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रो में सफलता का पथ प्रशस्त करती है। ;लेखक पूर्व में दैनिक जागरण, अमर उजाला, माया पत्रिका दैनिक भास्कर व आज में कार्य कर चुके हैं।द्ध