दुष्कर्म की मानसिकता का हो दमन
स्वतंत्रदेश,लखनऊ हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के कई शहरों-गांवों में बेटियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं की खबरें आई हैं। बात केवल इसमें शामिल हैवानों और दरिंदों की नहीं है, क्योंकि जानवरों से भी बदतर ऐसे लोग देश के हर कोने में हैं और त्वरित अदालतों के माध्यम से इन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आखिर कानून व्यवस्था और प्रशासन की स्थिति में कब सुधार होगा? प्रदेश में जब एक मासूम बेटी के साथ दुष्कर्म जैसी वारदात होती है तो एफआइआर यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस देर क्यों करती है? दुष्कर्म पीड़ित महिला को प्रशासन इलाज की बेहतर सुविधा तत्काल क्यों नहीं मुहैया कराता? ऐसे एक नहीं अनेक सवाल हैं, जो उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर निरंतर उठते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद लोगों की सबसे बड़ी उम्मीद यही रही है कि प्रदेश में अपराध पर पूरी तरह अंकुश लगेगा। राज्य की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गुंडों और अपराधियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि गुंडे या तो सुधर जाएं या फिर उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाएं। इसके साथ ही योगी ने पार्टी के नेताओं से भी कहा था कि अब उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है और इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए जमकर काम किया जाएगा। अपने नेताओं को उन्होंने संदेश दिया कि ठेकेदारी का काम वे न करें, बल्कि ठेकेदारों के कार्यो की निगरानी करें। इसमें कोई दो मत नहीं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपराध पर अंकुश लगा है। पुलिस और प्रशासन को दुरुस्त करने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं। इस वर्ष के आरंभ में ही योगी सरकार ने प्रदेश में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को लागू किया और पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे लखनऊ तथा नोएडा में लागू भी कर दिया गया। इस संबंध में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को लागू करना पुलिस सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग और लॉ एंड ऑर्डर की बेहतरी के लिए इस सिस्टम की जरूरत थी, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं होने की वजह से यह फैसला टलता गया।