खून का काला कारोबार
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यूपी में ब्लड बैंकों से मिलने वाला खून जान बचाने की जगह जिंदगी भी ले सकता है। यहां खून के काले कारोबार से करोड़ों का खेल हो रहा है। STF लखनऊ के खुलासे के बाद हेल्थ डिपार्टमेंट और FSDA यानी खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग के कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं।
STF को लखनऊ में मिड लाइफ चैरिटेबल ट्रस्ट के ब्लड बैंक में मिले ब्लड बैग पर एक्सपायरी डेट से लेxकर डोनर तक का नाम नहीं था। कई ब्लड बैग पर ब्लड ग्रुप तक नहीं लिखा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह खून किसी मरीज के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता था।

स्लाइन से तैयार करते थे मिलावटी खून
STF और FSDA की शुरुआती जांच में पता चला है कि ब्लड बैंक में मिले ब्लड में मिलावट हुई है। प्राइवेट ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट करने वाले कम आते हैं। इससे साफ है कि यह मिलावट और तस्करी का ब्लड है।
यह लोग स्लाइन यानी ग्लूकोज, कांगोरेड को एक ब्लड बैग में मिलाकर तीन बैग तैयार कर लेते थे। जो असली ब्लड की तरह दिखता है। यह मरीज के चढ़ने पर जानलेवा तो साबित नहीं होता, लेकिन फायदा भी नहीं होता।
एसटीएफ के मुताबिक, पूछताछ में सामने आया है कि नौशाद ने तुलसी ब्लड बैंक जयपुर, पिन्क सिटी ब्लड बैंक जयपुर, रेड ड्रॉप ब्लड सेन्टर जयपुर, गुरूकुल ब्लड सेन्टर जयपुर, ममता ब्लड बैंक चैमू, दुषात ब्लड बैंक, चैमू, मानवता ब्लड बैंक सीकर, शेखावटी ब्लड बैंक चुरू के टेक्नीशियनों के माध्यम से ब्लड लेता था।
एक ब्लड बैग के बदले 700 से 800 रुपए तक देता था। जांच में सामने आया है कि यह लोग लखनऊ के चैरिटेबल ब्लड बैंक बर्लिंगटन चौराहा लखनऊ में भी ब्लड बैग सप्लाई देता था।
उसने यूनिवर्सल ब्लड बैंक संडीला हरदोई, आभा ब्लड बैंक जनपद फतेहपुर, मां अंजली ब्लड बैंक कानपुर, हसन ब्लड सेंटर बहराइच और सिटी चैरिटेबल ब्लड बैंक उन्नाव में भी सप्लाई की थी।