आर्थिक तंगी में फंसी लखनऊ मेट्रो
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:लखनऊ मेट्रो की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। क्योंकि यात्रियों की संख्या और मेट्रो द्वारा आय के स्त्रोत जिस गति से बढ़ने चाहिए, वह नहीं बढ़े। 29 जनवरी 2021 को मेट्रो द्वारा विदेशी बैंक को 25,38,78,787 करोड़ की पहली किस्त देनी थी। आज भी बकाया है। दूसरी किस्त 30 जुलाई 2021 को देनी थी, वह भी नहीं दी जा सकी। तीसरी किस्त 29 जनवरी 2022 को जानी थी, वह भी बकाया है, आगे की किस्तें भी नहीं दी गई हैं। कुल 131.92 करोड़ का कर्ज अभी तक बाकी है।किस्तें न चुकाने से उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। बची हुई कसर कोविड 19 ने 22 मार्च से छह सितंबर 2020 के बीच मेट्रो का संचालन बंद होने से हो गई। अब मेट्रो ने 194.85 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता वर्ष 2022-2023 के बजट में मांगी है।
लखनऊ मेट्रो को पहली और दूसरी कोरोना लहर से मेट्रो का परिचालन पूरी तरह से बंद रहा। इसके कारण करीब 62.93 करोड़ का नुकसान हुआ। इसकी भरपाई आज तक लखनऊ मेट्रो नहीं कर सका है।