उत्तर प्रदेशराज्य

5 गुना कम होगी कीमोथेरेपी की डोज

स्वतंत्रदेश , लखनऊ:कैंसर में दी जाने वाली कीमोथेरेपी की डोज को 5 गुना कम करके उसके साइड-इफेक्ट को घटाने वाली दवा ‘बैक्टीरियोबोट’ बनाने में सफलता मिली है। वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मेडिसिनल केमेस्ट्री की डॉ. नेहा गर्ग और थापर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. दीप्तिमान चौधरी समेत डॉक्टरों ने 2 साल में इसे तैयार किया है। इस दवा ने परीक्षा का पहला पड़ाव पार कर लिया है। यानी कि प्री-क्लीनिकल टेस्ट में सफलता मिल चुकी है।

इस दवा को बनाने में डॉ. दीप्तिमान चौधरी ने रिसर्च किया है।

यह दवा कैंसर के ट्यूमर को धीरे-धीरे कम कर देती है। अगर क्लीनिकल ट्रायल में सफल होती है, तो कैंसर पीड़ितों के लिए काफी राहत भरी होगी। फिलहाल, इस पर हुआ रिसर्च अंतरराष्ट्रीय जर्नल एडवांस साइंस में प्रकाशित हुआ है।

रिसर्च के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. दीप्तिमान चौधरी ने बताया कि इस दवा को बनाने में दही में मिलने वाले बैक्टीरिया (लैक्टोबैसलिस) पर शुगर के पॉलिमर (काइटोसेन) की नैनो कोटिंग (मिश्रित) की गई। इसके बाद इसमें 5 फ्लोरो यूरोसेल (पाउडरनुमा दवा) को लोड कर लिक्विड बनाया गया। इस दवा का इस्तेमाल लैब के चूहों पर किया गया।

इसमें 72 चूहों के 6 ग्रुप थे। कैंसर ग्रस्त चूहों में सारकोमा (मसल्स ट्यूमर) की समस्या थी। इसमें आधे कैंसर पीड़ित चूहों को ये दवा दी गई। वहीं, दूसरे ग्रुप के चूहों को नॉर्मल कीमो दिया गया।कीमोथेरेपी के दौरान देखा गया कि जिन चूहों को दवा की 50 Mg डोज दी गई। उनके कैंसर वाले ट्यूमर की साइज में 90% की कमी आ गई। इसमें कुल 29 दिन लगे थे। वहीं, इन चूहों में कीमोथेरेपी के दौरान कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं दिखा। इनकी किडनी, पांचन तंत्र और लीवर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जबकि, दिन भर में दवा की 4 डोज देने की बजाए 1 बार ही दिया गया। फायदा कई गुना अधिक हुआ। चूहों की लाइफ एक्सपेंटेंसी काफी बढ़ गई।

जिन चूहों पर इस दवा का प्रयोग हुआ है उनकी इमेज।
जिन चूहों पर इस दवा का प्रयोग हुआ है उनकी इमेज।

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