कोरोना का चुनावी तालमेल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:ज्यादा संक्रामक होने के दावों के बीच यूपी में कोरोना के नए वैरिएंट की रिवर्स रफ्तार देखी जा रही है। प्रदेश में 3 दिन में 8% तक एक्टिव केस में गिरावट आई है। सक्रिय मामले में यह गिरावट तेजी से रिकवर हो रहे मरीजों के कारण है। सबसे अहम बात यह है कि प्रदेश के जिस इलाके में पहले चरण में मतदान होना है, वहां के करीब सभी जिलों में 100% से ज्यादा रिकवरी देखी जा रही है। हालांकि विशेषज्ञ इसको लेकर चेतावनी जारी कर रहे है और कहते हैं कि कोई भी जल्दबाजी भरा निर्णय सबसे बड़ी आबादी के प्रदेश में घातक सिद्ध हो सकता है।
जनवरी के शुरुआत में तेजी से बढ़े थे मामले
दिसंबर 2021 के शुरुआत में ही इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे थे कि जल्द ही तीसरी लहर दस्तक देगी। वहीं, जनवरी आते ही ताबड़तोड़ केस ओमिक्रॉन की आमद दर्ज करा चुके थे। तेजी से बढ़ रहे संक्रमितों की संख्या लगातार पुराने सभी ट्रेंड से कई गुना आगे थी। पर महज एक पखवाड़ा बीतते यह यू टर्न के साथ रिवर्स रफ्तार पकड़ चुकी है। खास बात यह है कि एक तरफ रिकवर होने वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वहीं, आम नए मामलों में भी कमी देखी जा रही है।
अमेरिका व यूरोप में अभी भी ओमिक्रॉन से मर रहे लोग
ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व सदस्य स्वीडन बेस्ड चिकित्सा विज्ञानी डॉ. राम उपाध्याय कहते है कि टेस्टिंग के ट्रेंड देखना जरूरी है और जल्दबाजी में किया गया कोई भी निर्णय उत्तर प्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में घातक सिद्ध हो सकता है। केस अगर कम भी हो रहे है तो उन इलाकों में टेस्टिंग व ट्रेसिंग को कम नही करना चाहिए।
साथ ही सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग भी कराई जानी चाहिए। यूरोप व अमेरिका में ओमिक्रॉन अभी भी तबाही मचा रहा है इसलिए यह मानना कि वैरिएंट बेहद हल्का है बड़ी भूल साबित हो सकती है। इस पर सावधानी बेहद जरूरी है और वैक्सीनेशन तेजी से करने की भी जरूरत है।