प्रापर्टी के फ्रॉड में फंसाना होगा मुश्किल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : अब लोक लुभावने वादे करके भूखंड, फ्लैट व वाणिज्य संपत्ति बेचना इतना आसान नहीं होगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने आदेश दिए हैं कि ऐसे कोलोनाइजर व प्रापर्टी वालों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाए। खासबात है कि अब अखबारों व स्थानीय स्तर पर छपने वाली मैगजीन में भी अगर बिल्डर, कोलोनाइजर और प्रापर्टी वाले विज्ञापन देते हैं तो उसको लविप्रा संज्ञान लेगा। यही नहीं उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) से जांच कराई जाएगी। अगर जांच में पंजीकरण व अन्य औपचारिकताएं मिलती है तो वह अपनी संपत्ती आसानी से बेच सकेंगे। यही नहीं लविप्रा से उनका नक्शा पास है या नहीं। इस नए प्रयास से वह लोग अब बच सकेंगे जो किसी के कहने पर अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई ऐसी संपत्तियों में लगा देते हैं, जिसकी उन्हें जानकारी नहीं होती।
लविप्रा उपाध्यक्ष के पास अब नियमित रूप से ऐसी कटिंग भी अखबार की खबरों के साथ जनसंपर्क विभाग भेजेगा, जिसमें भूखंड, फ्लैट और वाणिज्य संपत्ति बेचने का ब्योरा प्रकाशित हुआ होगा। लविप्रा का मानना है कि प्राधिकरण में आने वाली शिकायतों में ऐसी संपत्तियों का ग्राफ तीस से चालीस फीसद है। अगर शुरू में ही इन पर नकेल लगा दी जाए तो खरीददार के साथ साथ लविप्रा को कम परेशान होना पड़ेगा। इसलिए लविप्रा अपने यहां के साथ ही रेरा से भी जांच कराएगा। रिपोर्ट आते ही कार्रवाई कर दी जाएगी।
बड़े बिल्डर भी नहीं दे सकेंगे धोखा: अमूमन बड़े बिल्डर सब्जबाग दिखाकर वाणिज्य संपत्ति व फ्लैट बेच देते हैं। इसके बाद आवंटी प्राधिकरण व रेरा के चक्कर लगाया करता है। अब लविप्रा ऐसे लोगों की जांच करा लेगा कि उनका इंटिग्रेटेड टाउनशिप में नक्शा पास है या नहीं, जमीन अधिगृहित है या नहीं।