उत्तर प्रदेशराज्य

आरक्षण की नई सूची में लगभग हर गांव से आई आपत्ति

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :आरक्षण की नई सूची के खिलाफ ग्रामीणों में ज्यादा नाराजगी है। नई गाइडलाइन के अनुसार किए गए आरक्षण से ग्रामीणों को ज्यादा खामियां दिख रही हैं। इसलिए करीब-करीब हर ग्राम पंचायत से आरक्षण के खिलाफ आपत्ति आई है। पिछली गाइडलाइन के अनुसार तो कुल पद के करीब आधी की आपत्तियां आई थी। अब ज्यादा आपत्ति आने से प्रशासन का भार बढ़ गया है। आपत्तियां मंगलवार की शाम तक ली गई थी, अब उस पर निस्तारण के लिए डीएम के द्वारा गठित टीम ने अपना काम शुरू कर दिया है।

गाइडलाइन बदलते ही अधिकतर गांव के आरक्षण बदल गए। इस गाइडलाइन के अनुसार जो आरक्षण किया गया है वह ग्रामीणों को नहीं भा रहा है।

पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर शुरू से विवाद है

इस बार पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर शुरू से विवाद है। प्रदेश सरकार ने आरक्षण करने के लिए पहले जो फार्मूला तय किया था, उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और बाद में बदल दिया गया।

पहली बार दो मार्च को पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित हुआ था

पहली गाइडलाइन के अनुसार दो मार्च को पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया था। तब इसमें प्रधान पद के खिलाफ 870 बीडीसी के खिलाफ 40 और जिला पंचायत सदस्य पद के खिलाफ 51 आपत्ति आई थी। उनके निस्तारण का ही काम चल रहा था कि मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। फिर नई गाइडलाइन बनी थी कि 2015 के चुनाव को आधार मानते हुए आरक्षण किया जाए।

 

1540 प्रधान पद की सीटों के खिलाफ करीब 1700 आपत्तियां

गाइडलाइन बदलते ही अधिकतर गांव के आरक्षण बदल गए। इस गाइडलाइन के अनुसार जो आरक्षण किया गया है, वह ग्रामीणों को नहीं भा रहा है। इसलिए जिले भर में कुल 1540 प्रधान पद की सीटों के खिलाफ करीब 1700 आपत्तियां आ गई हैं।

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