गोमती नदी की दुर्दशा, लाखों खर्च कर भी नहीं सुधारी नदी की सेहत
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : गोमती के दोनों किनारों पर इन दिनों फूलों की बहार है। दूर तक हरियाली और करीने से लगाए गए शोभाकार पौधे गोमती तट की सुंदरता बढ़ा रहे हैं, लेकिन गोमती के हालात नहीं सुधर सके। नतीजा यह है कि गोमती के दोनों ओर तटों पर खिले चटक रंगों के बोगनवेलिया व अन्य मौसमी फूल टाट में मखमली पैबंद सरीखे नजर आ रहे हैं। गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के तहत नदी के दोनों किनारों पर एलडीए द्वारा पेड़-पौधे लगाए गए हैं। मेहनत रंग लाई है और किनारे खुशनुमा फूलों से बेहद सुंदर प्रतीत हो रहे हैं लेकिन लाखों खर्च कर गोमती किनारे तो जिम्मेदार महकमों ने संवार लिए लेकिन गोमती की सेहत पर इंच मात्र भी असर नहीं पड़ा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गोमती की जल गुणवत्ता की जांच के लिए हर रोज गऊघाट इंटेक व बैराज अपस्ट्रीम से नमूने लिए जाते हैं। बुधवार को गऊघाट इनटेक पर घुलित ऑक्सीजन (डी ओ) 5.56 मिली ग्राम प्रति लीटर मिली। वहीं बैराज अपस्ट्रीम पर एक मिलीग्राम से कम 0.94 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। बीते पांच दिनों के दौरान बैराज पर डीओ 15 मार्च छोड़ एक मिलीग्राम से बहुत कम पाई गई। वहीं गऊघाट इंटेक पर भी बीती 13 मार्च को डीओ 8.02 मिलीग्राम प्रति लीटर मिली थी। इसके बाद से लगातार डीओ कम रिकॉर्ड की जा रही है। बुधवार को गऊघाट पर 5.56 मिलीग्राम पाई गई।
दरअसल डीओ नदी की सेहत का पैमाना है। तीन मिलीग्राम से कम होने पर जलीय जीव जैसे मछली आदि जीवित नहीं रहते और पानी में से सड़ांध आने लगती है। पीपे वाले पुल के बाद से गोमती जैसे-जैसे शहर में आगे बढ़ती है नाले में तब्दील होती जाती है। गोमती में इन दिनों जलकुंभी की भरमार है। आलम यह है कि रिवर फ्रंट पर मशीन लगाकर जलकुंभी निकाला जा रही है। वहीं कुडिय़ा घाट, डालीगंज पुल, शहीद स्मारक के आसपास भी गोमती की हालत दयनीय है।
सिर चढ़कर बोला प्रदूषण राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल (2020) जनवरी से लेकर दिसंबर के बीच गोमती के पानी की नापजोख की गई। रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग सभी स्थानों पर गोमती जल की गुणवत्ता खराब से अत्यंत खराब च्सीच् से च्ईच् कैटेगरी में थी। गऊघाट वॉटर इनटेक पर बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) तय सीमा से 3.2 मिलीग्राम प्रति लीटर ज्यादा पाया गया। वहीं, टोटल कॉलीफॉर्म औसत 6945, मलजनित जीवाणुओं की औसत संख्या 4564 रही। बोर्ड द्वारा गऊघाट पर जल गुणवत्ता को च्डीच् श्रेणी में रखा गया है, जो पानी के इस्तेमाल किए जाने के लिहाज से बेहद खराब है। चिंताजनक यह है कि गऊघाट से ऐशबाग जलकल और बालागंज जलकल के लिए कच्चा पानी पंप किया जाता है जिसे उपचार के बाद शहर को सप्लाई किया जाता है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा गोमती में पानी की कमी के साथ-साथ प्रदूषण भी सिर चढ़कर बोलेगा। ऐसे में जलापूॢत के लिए बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। अच्छा होता कि गोमती तत्वों को लाखों खर्च कर संभालने के साथ-साथ नदी की सेहत का भी ध्यान रखा जाता।