बढ़ रहा मानव-वन्यजीवों का संघर्ष
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : भारत-नेपाल सीमा से सटा सोहेलवा जंगल 452 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जंगलवर्ती गांवों में हर माह तेंदुए के हमले में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। वजह, वन्यजीवों का प्राकृतवास प्रभावित होने से वह रिहायशी इलाकों में रुख कर रहे हैं। जंगल में रहने वाले जानवरों को अपने घर में मानव का हस्तक्षेप रास नहीं आ रहा है। पेड़ों की कटान से जंगल का दायरा सिमटने के साथ ही वाटर होल भी सूख चुके हैं। वन्यजीव भोजन-पानी की तलाश में जंगल से निकलकर गांवों में पहुंच जाते हैं। इससे उनकी जान को भी खतरा रहता है। वन विभाग कैमरा ट्रैप सेल के जरिए जंगल की निगरानी व वन्य जीवों के संरक्षण का दम तो भर रहा है, लेकिन संघर्ष पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
तेंदुआ की संख्या अधिक : तेंदुआ-60, हिरन 153, चीतल 1047, सुअर1160, फिशिंग कैट नौ, नीलगाय 819, सांभर 103, बंदर 3385, लंगूर 2413, लकड़बग्घा 61, लोमड़ी, 94, सियार 393, बिज्जू 32, जंगली बिल्ली 20, सेही 92, गोह आठ, मोर 176, खरगोश 18 व पांच भालुओं के जंगल में होने की पुष्टि कैमरा सेल से हुई है।
सुरक्षा को लेकर विभाग सजग : डीएफओ प्रखर गुप्त ने बताया कि सोहेलवा जंगल की हरियाली व वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर विभाग आधुनिक साजो सामान से लैस हो रहा है। वन्य जीवों की चहलकदमी कैमरा ट्रैप सेल से कैद की जाती है। ड्रोन कैमरा व जीपीएस के साथ शिकारियों के भूमिगत जाल को पकड़ने के लिए मेटल डिटेक्टर मंगाया है।