उत्तर प्रदेशराज्य

गिरधारी विश्वकर्मा मुठभेड़ मामले में नया मोड़

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डाक्टर के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले मे हजरतगंज पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर नियमानुसार विवेचना करने संबधी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के 25 फरवरी के आदेश पर रोक लगा दी है । कोर्ट ने वादी को भी नेाटिस जारी किया है। अब मामले की अगली सुनवायी 15 मार्च को होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गिरधारी एनकाउंटर मामले में सीजेएम कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल एक रिवीजन याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वी के साही व अपर शासकीय अधिवक्ता अनुराग वर्मा का तर्क था कि CJM का आदेश विधि विरूद्ध है और रद्द किये जाने येाग्य है। तर्क दिया गया कि इस प्रकरण में पुलिस ने पहले ही दो प्राथमिकी दर्ज की हैं तो ऐसे में तीसरी प्राथमिकी की कोई आवश्यकता नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का हवाला देकर तर्क दिया गया कि प्राथमिकी का आदेश देते समय CJM के सामने अभियेाजन संस्तुति का आदेश नहीं था जबकि पुलिस अधिकारियों द्वारा जो भी अपराध कथित रूप से बताया जा रहा है वह सरकारी कार्य के दौरान का है। यह भी तर्क दिया गया कि घटना का केाई चश्मदीद गवाह नहीं है और वादी सर्वजीत सिंह की मोबाइल की लोकेशन अन्यत्र मिली है।

CJM कोर्ट ने दिया मामला दर्ज करने का आदेश
दरअसल CJM ने अधिवक्ता सर्तजीत यादव की CrPC की धारा 156 की उपधारा 3 के तहत दाखिल अर्जी केा मंजुर करते हुए 25 फरवरी को गिरधारी मामले की विवेचना के आदेश जारी कर दिये थे। CJM ने अपने आदेश में लिखा था कि वादी ने DCP संजीव सुमन व विवेचक चंद्रषेखर सिंह के खिलाफ अपनी अर्जी दी है।

CJM ने कहा था कि यह विवेचना का विषय है कि पुलिस टीम की ओर से इस मुठभेड़ में अपनी आत्मरक्षा के तहत गिरधारी की मृत्यु कारित की गयी या उनके द्वारा आत्मरक्षा की परिधि से बाहर जाकर कोई कृत्य कारित किया गया ।

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