बिजली व्यवस्था पर वार कर रहे पतंग के चीनी तार
थोड़ा सुनने में अटपटा लगेगा, लेकिन हकीकत यही है कि चाइनीज तार जो पतंग में बांधकर उड़ाया जा रहा है, उससे राजधानी की बिजली साल में 10 दिन गुल रहती है। टुकड़ों में देखेंगे तो हर माह अठारह से बीस बार लाइन ट्रिप होती है। एक बार औसतन लाइन को चालू करने में कम से कम डेढ़ से दो घंटे लगता है। कभी-कभी तीन से पांच घंटे भी। यही नहीं हर साल इस व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए बिजली महकमे को चार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
कारण जहां लंबी ट्रांसमिशन लाइनें हैं, वहां जाल नहीं बिछाया जा सकता, ऐसे में पतंग से बंधा तार जैसे ही लाइन में टच होता है, कंडेक्टर उड़ जाता है और एक काला धब्बा उस तार पर दे जाता है, जिसे बदलने या पैच लगाए बिना लाइन दोबारा नहीं चालू की जा सकती। लाइन को चालू करने में ट्रांसमिशन बंद करना होता है और दोनों छोर पर टॉवर लगाकर दर्जनों की संख्या में कर्मचारियों की मदद से मरम्मत की जाती है। यही हाल कुछ बिजली घरों का है, जहां चाइनीज तार बंधी पतंग गिरने के बाद बिजली घर के यार्ड में लगा कौन सा पॉवर ट्रांसफार्मर कितने हजार घरों की बिजली गुल कर दे, कुछ नहीं कहा जा सकता। इसी के मद्देनजर न्यू नूरबाड़ी बिजली घर के यार्ड में जाल लगवाया गया है।
पिछले डेढ़ दशक से चाइनीज तार व लोकल तार धड़ल्ले से पतंगों में इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक की स्कूटर के क्लच वॉयर में इस्तेमाल किए जा रहे तार को बांधकर पतंग उड़ाई जा रही है। ट्रांसमिशन लाइनों पर गिरी पतंगों से यह बात सामने आई है। ट्रांसमिशन से जुड़े अभियंता कहते हैं कि पारेषण लाइन जो तीन फेस की है, उस पर अगर तार बंधी पतंग गिरती है तो लाखों का नुकसान होता है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को घंटों बिजली संकट का सामना करना पड़ता है। बिजली घरों में करोड़ों रुपये के पॉवर ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। बिजली घरों व ट्रांसमिशन उपकेंद्रों के यार्ड में जाल लगवाने के बाद पतंगे फिर जाल पर गिरती है। इससे बिजली बाधित भी नहीं होती है और ट्रांसफार्मर भी क्षतिग्रस्त नहीं होते।
चाइनीज तार गिरने से इस तरह होता है नुकसान
तार बंधी पतंग गिरने से कंडेक्टर यानी तार बेकार हो जाते हैं। अगर तीन फेस पर तार बंधी पतंग गिरी तो नुकसान होने के साथ ही समय भी मरम्मत पर लगता है। ट्रांसमिशन में कंडेक्टर को चार भागों में विभाजित किया गया है। 132 केवी पैंथर कंडेक्टर सवा लाख रुपये प्रति किमी., दो लाख रुपये प्रति किमी 220 केवी जेबरा कंडेक्टर आता है।इसी तरह 400 केवी मूस कंडेक्टर की कीमत तीन रुपये प्रति किमी होती है। वहीं हाई टेंशन लो जैक कंडेक्टर पांच लाख रुपये प्रति किमी के हिसाब से आता है। वहीं ट्रांसफार्मर ट्रिप होने से बुश खराब होते हैं, इससे ट्रांसफार्मर की लाइफ कम हो जाती है।
पतंगों के कारण अब नहीं जाएगी बिजली
पुराने लखनऊ के अंतर्गत आने वाले न्यू नूर बाड़ी बिजली घर के यार्ड के ऊपर अब पतंग नहीं गिरेगी। क्योंकि बिजली महकमे ने यार्ड के ऊपर एक जाल लगवा दिया है अब पतंग भी इसी पर गिरेगी इसके कारण जो लाखों का नुकसान हर बार होता था उससे बिजली महकमा ने बचने की निजात निकाल ली है।