आठ हजार स्क्वायर मीटर जमीन पर बनेगा सैटेलाइट टर्मिनल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :सैटेलाइट के रूप में विकसित हो रहे प्रस्तावित टर्मिनल कैंट स्टेशन के रास्ते की समस्या सुलझने का नाम नहीं ले रही। स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि होने के चलते दूसरा मार्ग तैयार नहीं हो पा रहा। जबकि, पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए पिछले पांच साल से रास्ते की तलाश कर रहा है, लेकिन बात नहीं बन पा रही। आज भी शहर के लोगों को स्टेशन पर पहुंचने के लिए मशक्कत उठानी पड़ती है। पूरब की तरफ ढाला पर क्रासिंग खुलने के इंतजार में ही लोगों की ट्रेनें छूट जाती हैं। रेलवे ने एक बार फिर इसे मूर्त रूप देने की तैयारी शुरू की है।
रक्षा मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव
हालांकि, रेलवे प्रशासन ने स्टेशन के दक्षिण की तरफ दूसरा मार्ग तैयार करने के लिए फिर से कवायद शुरू कर दी है। रक्षा मंत्रालय से 8 हजार स्क्वायर मीटर भूमि दिलाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेज दिया है। रेलवे प्रशासन ने भूमि के बदले बगल में ही उतनी ही भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही आम लोगों की परेशानियों को गिनाते हुए रास्ते की जरूरत पर बल दिया है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि रास्ता तैयार हो जाने से नरकटियागंज, छपरा और वाराणसी की तरफ से रोजाना आवागम करने वाले हजारों लोगों को सहूलियत मिलेगी।
कम होगा गोरखपुर जंक्शन का लोड
रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2015-2016 में भी भूमि के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा था। साथ ही स्थानीय स्तर पर भी सेना के उच्च अधिकारियों से वार्ता कर भूमि हासिल करने की पहल की थी। लेकिन बात नहीं बन पाई। आज कैंट स्टेशन का विकास शुरू हो गया है। पांच प्लेटफार्म बन रहे हैं। नए भवन बन रहे हैं। यात्री सुविधाओं में बढोत्तरी की जा रही है। आने वाले दिनों में गोरखपुर जंक्शन के लोड को कम करने के लिए कैंट से ही इंटरसिटी, पैसेंजर और डेमू आदि ट्रेनें चलने लगेंगी।
ताल के किनारे से भी रास्ता तैयार करने की है चर्चा
कैंट स्टेशन को मुख्य सड़क मार्ग (एयरपोर्ट- सर्किट हाउस रोड) को जोड़ने के लिए रेलवे, जनप्रतिनिधियों और आम लोगों में ताल के किनारे से भी रास्ता तैयार करने की चर्चा है। दरअसल, स्टेशन के पश्चिमी छोर पर ताल पर बने ब्रिज के पास से दक्षिण की तरफ ताल के किनारे से मोहद्दीपुर और गुरुंग तिराहा के बीच रास्ता निकाला जा सकता है।