दुनिया में हथियारों की होड़ को कैसे कम करेंगे बाइडन
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के पूर्व वाशिंगटन और मॉस्को के बीच नए हथियारों के होड़ को लेकर एक नई बहस खड़ी हो गई है। यह सब ऐसे वक्त हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल समाप्त होने में थोड़े दिन शेष हैं। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को कार्यभार ग्रहण करेंगे। ऐसे में अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन पर यह दबाव रहेगा कि वह दुनिया को एक नए हथियारों के हाेड़ से दूर ले जाए। आखिर क्या है ताजा मामला। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के समक्ष क्या होगी बड़ी चुनौती। क्या है स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी। चीन होगा बड़ा फैक्टर।
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चीन की बढ़ती ताकत के बीच बाइडन के समक्ष बड़ी मुश्किलें
दरअसल, 2010 में अमेरिका और रूस के बीच शुरू हुई स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी Strategic Arms Reduction Treaty की मियाद 5 फरवरी को समाप्त हो रही है। इस ट्रीटी की अवधि को आगे बढ़ाने के लिए वाशिंगटन और मास्को के बीच एक नए करार की दरकार होगी। इसलिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन के सत्ता संभालते ही इस ट्रीटी को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। बाइडन के लिए यह राह आसान नहीं होगी, क्यों राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन काल में दोनों देशों के बीच इस ट्रीटी को लेकर तमाम मतभेद कायम रहे हैं। दूसरे, चीन की बढ़ती ताकत से निपटने के लिए अमेरिका की नई सामरिक नीति के साथ इस गुत्थी को सुलझाना आसान काम नहीं होगा।
पुतिन ने एक ट्वीट से गरम हुआ मामला
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा कि हम अमेरिका के साथ हथियारों के नियंत्रण पर वार्ता करने के लिए राजी हैं, लेकिन लिए हमारे सहयोगियों को भी सकारात्मक रुख दिखाना होगा। उनका यह ट्वीट उस समय आया जब गुरुवार को रूस ने नए हथियारों की दौड़ के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया।
क्या है चीन का पक्ष
चीन का कहना है कि उसके परमाणु हथियारों का जखीरा रूस और अमेरिका की तुलना में बहुत छोटा है, इसलिए उसका संधि में शामिल होना जरूरी नहीं। लेकिन हाल में अमेरिका और चीन के बीच जिस तरह से गतिरोध हुआ है, उससे यह टकराव और बढ़ा है।