फर्जीवाड़े का आरोपित सचिवालय का जमानत पर रिहा
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़े के मामले कम नहीं हो रहे हैं। गुरुवार को एसटीएफ की गिरफ्त में आए गिरोह से पुलिस को कई अहम सुराग मिले हैं। छानबीन में आरोपितों के तार सचिवालय के सुरक्षाकर्मियों और वहां के कुछ कर्मचारियों से जुड़े पाए गए हैं। एसटीएफ अब गिरोह को पनाह देने वाले सचिवालय के कर्मचारियों की कुंडली खंगाल रही है। उधर, पीजीआइ इलाके में सितंबर माह में हुई दुर्गेश यादव की हत्या के बाद नौकरी दिलाने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। खास बात यह है कि उस फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड सचिवालय में सेक्शन अफसर के रूप में तैनात अजय यादव को पुलिस की लचर पैरवी से जमानत मिल गई है।
आरोपित अजय यादव पर उच्चाधिकारी मेहरबान नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि फर्जीवाड़ा कर अर्जित की गई लाखों की संपत्ति की जानकारी पुलिस नहीं उठा रही है। शुरुआती छानबीन में सामने आया था कि अजय के साथियों पर राजधानी के अलावा अन्य जिलों में भी एफआइआर दर्ज है। पुलिस ने गिरोह का राजफाश कर कई घटनाओं के राजफाश का दावा किया था जो अब ठंडे बस्ते में बंद है। गुरुवार को गिरफ्तार किए गए गिरोह के सरगना सिद्धनाथ शाह और निजी कम्पनी के संचालक राकेश कुमार त्रिपाठी समेत अन्य के सचिवालय कनेक्शन का पता लगा रही है।
ये है दुर्गेश हत्याकांड
वृंदावन कालोनी सेक्टर-14 में गृह विभाग में तैनात अजय कुमार यादव के मकान में मूलरूप से गोरखपुर के गोला गांव निवासी प्रापर्टी डीलर दुर्गेश यादव (32) की मनीष और पलक ठाकुर नाम की महिला ने साथियों संग मिलकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था