आजम खां के जौहर ट्रस्ट से 93.48 लाख की होगी वसूली
स्वतंत्रदेश ,लखनऊजौहर विश्वविद्यालय में छात्रावास के निर्माण में केंद्रीय योजना से 93.48 लाख रुपये खर्च कर डाले, जौहर ट्रस्ट ने चयनित भूमि पर छात्रावास का निर्माण न कराकर दूसरी जगह करा दिया। मामला सामने आने पर केंद्र से दूसरी किस्त अटक गई और छात्रावास का निर्माण अधर में फंस गया है। यह फर्जीवाड़ा डीएम की तरफ से कराई गई जांच में सामने आया है।अग्रिम कार्रवाई के लिए बुधवार शाम डीएम ने शासन में रिपोर्ट भी भेज दी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जौहर विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन छात्रावास का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। केंद्र सरकार की धनराशि का उपयोग भी छात्र हित में नहीं किया गया है। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से अपना केंद्रांश ब्याज सहित वापस मांगा है।जिस पर जौहर विश्वविद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई की गति तेज हो गई है। इसी क्रम में डीएम ने विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन छात्रावास के निर्माण एवं विवाद की वस्तुस्थिति की जांच कराई है। सीडीओ की अध्यक्षता में वाली पांच सदस्य टीम ने पूरे मामले की जांच की है। टीम में एडीएम राजस्व एवं वित्त, एसडीएम सदर, एसओसी एवं जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय परिसर में गाटा-1153 में कोई भवन निर्मित नहीं है, जबकि गाटा-1445 में पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए निर्माणाधीन छात्रावास है। राजस्व अभिलेख (नजरी नक्शा) के अनुसार, निर्माणाधीन छात्रावास की भूमि पर कोई विवाद नहीं है। क्योंकि छात्रावास का निर्माण गाटा-1153 में किया जाना था, जहां न करके गाटा-1445 पर कराया गया है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बिंदुओं से स्पष्ट है कि जौहर ट्रस्ट ने पिछड़ा वर्ग छात्रावास के लिए प्रस्तावित गाटे की भूमि से विपरीत अर्थात तथ्यों को छुपाकर दूसरे गाटा-1445 की जमीन पर छात्रावास का निर्माण शुरू कराया, जो आज भी अधूरा ही है।
निदेशक ने लौटा दिए थे 42.01 लाख
रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रावास निर्माण के लिए जब दूसरी किस्त के 42.01 लाख रुपये केंद्र सरकार से प्राप्त हुए तो कार्यदायी संस्था को ये रुपये देने से पहले 8 मार्च 2018 को निदेशक पिछड़ा वर्ग ने डीएम से मौके की रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में डीएम ने 14 मार्च 2018 को निदेशक को रिपोर्ट भेजी थी। इसमें संबंधित स्थल को विवादित बताया गया था तो निदेशक पिछड़ा वर्ग ने द्वितीय किस्त के 42.01 लाख रुपये केंद्र को लौटा दिए थे।