गो-सेवा से पापों का प्रायश्चित कर रहे अपराधी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :क्षणिक आवेश में आकर जघन्य अपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले कैदियों की सुबह आज-कल जेलों में गौ-माता का पवित्र गोबर उठाने से हो रही है। जी हैं, बंद बंदी गो-सेवा करके अपने पापों का प्रायश्चित कर रहे हैं। सुबह करीब 05:30 बजे जेल की पहली घंटी बजने के साथ ही वह अपनी बैरकों से बाहर निकलतें हैं और गिनती के बाद गो-सेवा में लग जाते हैं। कोई गोबर उठाता तो कोई गाय को चारा लगता। कोई दूध निकालता तो कोई उन्हें नहलाने-धुलाने का काम कर रहा है। आखिरकार यह भी तो इंसान ही हैं।
कभी क्षणिक आवेश में आकर उन्होंने जिन हाथों से जघन्य अपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर किसी का खून बहाया, किसी के घर में चोरी की डाका डाला, जानलेवा हमला किया था। जेल की सलाखों की पीछे आने के बाद उन्हें पछतावा हो रहा है। राजधानी की मॉडल जेल समेत सूबे के 15 जनपदों में स्थित जेलों में गौशाला खोल दी गई हैं। कैदी सुबह से लेकर रात तक इनकी सेवा करते हैं। मॉडल जेल समेत सूबे के अन्य जनपदों में स्थित गौशाला में कुल 835 गाय हैं।
इन जेलों बनी गौशाला में गो-सेवा कर रहें कैदी
केंद्रीय कारागार बरेली, केंद्रीय कारागार नैनी, जिला कारागार बाराबंकी, केंद्रीय कारागार फतेहगढ़, आदर्श कारागार लखनऊ, जिला कारागार बरेली, जिला कारागार उन्नाव, केंद्रीय कारागार आगरा, केंद्रीय कारागार वाराणसी, जिला कारागार सुल्तानपुर, जिला कारागार सीतापुर, जिला कारागार आगरा, जिला कारागार कासगंज, जिला कारागार चित्रकूट और जिला कारागार आजमगढ़ में गौशाला खोली गई है।
मथुरा जेल के बंदि बनाते हैं गोबर से गणेश-लक्ष्मी
मथुरा जेल के बंदी गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति तैयार करते हैं। इसके बाद यह मूर्तियां जेल प्रशासन के अधिकारी तो खरीदते ही हैं। इसके अलावा बाहर बाजारों में भी बिक्री के लिए जाती हैं। इसका पारिश्रमिक प्रति बंदी 40 रुपये प्रति दिन के हिसाब से दिया जाता है।
मथुरा जेल के बंदि बनाते हैं गोबर से गणेश-लक्ष्मी
मथुरा जेल के बंदी गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति तैयार करते हैं। इसके बाद यह मूर्तियां जेल प्रशासन के अधिकारी तो खरीदते ही हैं।