कैशलेस सुविधा सिर्फ कागजों तक सीमित
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:डीए के बाद अब कर्मचारी कैश लेस सुविधा को लेकर सरकार पर हमलावर हुए है। आरोप है कि कैश लेस सुविधा की बात पिछले छह साल से महज कागजों तक सीमित है। सपा के बाद योगी सरकार एक और 2.0 प्रदेश के एक भी कर्मचारी को अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। प्रदेश में 16 लाख कार्यरत और 12 लाख रिटायर कर्मचारियों को इस योजना का लाभ मिलना है।
2016 में सबसे पहले सहमति बनी
उप्र राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि सबसे पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में कैश लेस सुविधा को लेकर कैबिनेट में सहमति बनी। कर्मचारियों ने नवंबर 2013 में 10 दिन तक पूरे प्रदेश में हड़ताल किया था। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हड़ताल खत्म हुआ। उसके बाद ही कैश लेश पर सहमति बनी थी। उस दौरान तीन लाख कार्ड भी बन गए थे।
बीजेपी सरकार में नाम बदला लेकिन सुविधा नहीं मिली
साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनी तो इसका नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैश लेस योजना रख दिया गया। लेकिन पांच साल तक केवल नाम से ही काम चला और धरातल पर एक भी कर्मचारी को सुविधा नहीं मिली। कर्मचारी संगठनों ने आरोप लगाया कि इस दौरान ऐसे अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई , जिन्होंने पांच साल तक काम नहीं होने दिया।
सरकार ने पहले बने 3 लाख कार्ड को निरस्त कर दिया। इन कार्ड से पांच लाख तक का इलाज फ्री था। अब नए कार्ड बनाने की बात हुई थी लेकिन बन नहीं पाया। यहां तक की सरकार और शासन के अधिकारी अभी तक अस्पताल का चुनाव नहीं कर पाए हैं कि कहां – कहां इसकी सुविधा मिलेगी।