थम नहीं रहा गंगा का प्रदूषण
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:तमाम कोशिशों के बावजूद गंगा में प्रदूषण थम नहीं रहा है बीते दो वर्षों के अंतराल में 30 मॉनीटरिंग स्थलों में से 28 में प्रदूषण की स्थिति खराब हुई है। गंगा की जल धारा में मल जनित व अन्य जीवाणुओं की भरमार है। वहीं, 13 जगहों पर बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) मानक सीमा से अधिक पाया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गंगा के प्रदूषण पर नजर रखने के लिए बिजनौर से गाजीपुर तक 30 मॉनिटरिंग स्थल स्थापित किए गए हैं। बोर्ड द्वारा अक्टूबर महीने में की गई गुणवत्ता जांच में गढ़मुक्तेश्वर के ब्रिज घाट व बदायूं के कछला घाट में जल गुणवत्ता ‘बी’ श्रेणी में मिली। यानी बोर्ड द्वारा तय मानकों के अनुसार यहां पानी आचमन व नहाने के लायक है। वहीं शेष 28 स्थानों पर प्रदूषण की स्थिति खराब मिली है।
13 स्थानों पर जहां गंगा की गुणवत्ता ‘सी’ श्रेणी अर्थात असंतोषजनक पाई गई है, वहीं, कानपुर, मिर्जापुर, वाराणसी सहित 15 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर प्रदूषण के हालात अधिक खराब यानी ‘डी’ श्रेणी में मिले हैं| चिंताजनक यह है कि गंगा सफाई के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बाद भी अक्टूबर 2018 व अक्टूबर 2020 के जल गुणवत्ता आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण में 50 फीसद मॉनिटरिंग स्थलों पर प्रदूषण काफी अधिक बड़ा मिला है| साफ है कि गंगा प्रदूषण के यह आंकड़े नियंत्रक संस्थाओं के लिए चुनौती साबित होंगे।
संगम नगरी प्रयागराज के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम स्थलों पर गंगा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार पाया गया, जहां जीवाणुओं की तादाद में कमी आई है। हालांकि मानकों के लिहाज से यहां की गुणवत्ता अभी भी ‘सी’ श्रेणी में ही है।
मिर्जापुर व वाराणसी में भी स्थिति खराब
मिर्जापुर और चुनार में गंगा के प्रदूषण स्तर में अक्टूबर 2018 व अक्टूबर 2020 के अंतराल में खासी वृद्धि पाई गई। उधर, वाराणसी में जीवाणुओं की संख्या में तुलनात्मक कमी तो आई है लेकिन इन सभी जगह गुणवत्ता ‘डी’ श्रेणी यानी अत्यंत खराब स्थिति में है।
अन्य नदियाँ भी हुई बेहाल :
आंकड़ों को देखें तो 2 वर्षों के दरमियान सूबे की राम गंगा, गोमती, वरुणा , हिंडन नदियों में प्रदूषण की स्थिति अधिक खराब हुई है ।