उत्तर प्रदेशराज्य

लखनऊ व नोएडा के अधिकारों में कटौती की तैयारी

स्वतंत्रदेश ,लखनऊ :लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस आयुक्त को दिए गए अधिकारों में लोक व शांति व्यवस्था से जुड़े कुछ मामलों में सीधे कार्रवाई से जुड़े कुछ अधिकार कम किए जाने पर विचार चल रहा है। दोनों जिलों में 13 जनवरी 2019 को पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की गई थी और अब 10 माह बाद दोनों जिलों में इस प्रणाली को और बेहतर बनाने तथा लोक व्यवस्था से जुड़े कुछ मुद्दों के व्यावहारिक पक्ष को लेकर नए सिरे से समीक्षा की जा रही है।

लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस आयुक्त को दिए गए अधिकारों में लोक व शांति व्यवस्था से जुड़े कुछ मामलों में सीधे कार्रवाई से जुड़े कुछ अधिकार कम किए जाने पर विचार चल रहा है।

बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस पुलिस कमिश्नर प्रणाली की विस्तार से समीक्षा नहीं की जा सकी थी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने जिलाधिकारी लखनऊ और गौतमबुद्धनगर से दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 133 और 145 के तहत कार्रवाई के अधिकार को पुलिस आयुक्त से हटाकर वापस जिलाधिकारी को दिए जाने के बाबत रिपोर्ट तलब की है। दोनों जिलाधिकारियों से आख्या मांगी गई है। शासन इसे लेकर जल्द निर्णय करेगा।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने लखनऊ और गौतमबुद्धनगर के डीएम को लिखे पत्र में दोनों धाराओं के तहत कार्रवाई का अधिकार फिर से जिला मजिस्ट्रेट को सौंपे जाने को लेकर एक सप्ताह में वस्तुपरक व औचित्यपूर्ण रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। अपर मुख्य सचिव गृह का कहना है कि इस मामले में विचार के बाद निर्णय किया जाएगा।

लखनऊ नगर और गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के साथ ही पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट, अपर जिला मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई थीं। इसी तरह लखनऊ नगर और गौतमबुद्धनगर में तैनात संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, उप पुलिस आयुक्त, अपर उप पुलिस आयुक्त व सहायक पुलिस आयुक्त को भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई थीं।

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