उत्तर प्रदेशराज्य

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर गाए इस गीत से भड़के छात्र

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:अभिनेता मनोज वाजपेयी के गीत ‘मुंबई में का बा’ के जबाव में ‘बिहार में का बा’ गीत गाकर चर्चा में आईं बिहार की लोकगायिका नेहा सिंह राठौर का नया गाना विवादों में घिर गया है। इस नए गाने में उन्होंने पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) और यहां के छात्र संघ पर तमाम आरोप लगाए हैं। उनका ये गाना एक तरफ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, दूसरी तरफ इविवि के छात्रों में इस गाने को लेकर काफी नाराजगी है। यही वजह है कि नेहा सिंह राठौर को सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के छात्रों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

बिहार की लोकगायिका नेहा सिंह राठौर अब नए विवाद में घिर गई हैं।

विभाग के छात्र शैलजाकांत ने क्या कहा…

नेहा ने अपने फेसबुक पेज पर ढोल की थाप पर एक नया गाना साझा किया है। यह खूब शेयर भी किया गया। साथ ही यहां के छात्रों ने इस गाने का विरोध करते हुए आपत्ति भी जताई। इविवि के विधि विभाग के छात्र शैलजाकांत त्रिपाठी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है ‘सो कॉल्ड लोकगायिका मोहतरमा #नेहा_राठौर जी इसी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विधि विभाग से 75 सिविल जज और हर उत्तर प्रदेश पीसीएस के एग्जाम में सैकड़ों अधिकारी भी चयनित होते हैं उसका भी उल्लेख कर देती। बिहार में बाजार नही चमका तो यहां आ गयी आप अब। आपको जानकारी हो तो बता दूं कि अकेले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में बम नहीं चलते और कोई अपने पिता जी के पैसों का कपड़ा जूता पहन रहा है तो क्या कष्ट है आपको? मुझे नहीं पता आपका कितना नाता है इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पर आपके अब तक के तथाकथित लोक गीतों से ये जरूर पता चलता है कि आपकी सोंच हर चीज के लिए नकारात्मक है।

शोध छात्र कुंवर ने कहा ये सस्ती लोकप्रियता

इविवि के शोध छात्र कुंवर साहब सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है ‘ये हैं नेहा सिंह जी…। मूलरूप से लोकगायिका के तौर पर ख्याति बटोरा है इन्होंने। बिहार से हैं और इस बार बिहार चुनाव में इनके लोकगीतों ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। अब नेहा सिंह जी का एक और गीत काफी वायरल हो रहा है जो कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ और यहां के सीनियर के ऊपर उन्होंने बनाया है। नेहा सिंह जी आप लोकगायिका हैं, उस रूप में आपका सम्मान है, लेकिन बिना इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृति और यहाँ के सीनियरों के सहयोग के बारे में जाने आपने इस तरह कुछ भी उलजुलूल गाकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, यहाँ के ऐतिहासिक छात्रसंघ, और अभिभावकों के रूप में यहाँ के सीनियरों का अपमान किया है।

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