उत्तर प्रदेशराज्य

शुभांशु शुक्ला ने शेयर किया अपना एक्सपीरियंस

 स्वतंत्रदेश ,लखनऊअंतरिक्ष मिशन के दौरान विज्ञान प्रयोग करना अपने आप में अद्भुत अनुभव है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने सोशल मीडिया पर बताया कि अंतरिक्ष में अत्यल्प गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) के कारण साधारण से प्रयोग भी जटिल हो जाते हैं।अंतरिक्ष में हर वस्तु तैरती रहती है, इसलिए यदि कोई चीज छोड़ दी जाए तो वह टूटेगी नहीं, लेकिन उड़कर कहीं भी चली जाएगी और उसे खोजने में काफी समय लग सकता है।शुक्ला ने बताया कि वे जीवन विज्ञान दस्ताना डिब्बा (एलएसजी लाइफ साइंसेज ग्लवबाक्स) में प्रयोग कर रहे थे। यह डिब्बा उन प्रयोगों के लिए उपयोग होता है जिनमें अधिक सुरक्षा और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने से मांसपेशियों पर दबाव नहीं पड़ता, जिससे वे कमजोर होने लगती हैं। पृथ्वी पर हमारी मांसपेशियां हमेशा गुरुत्वाकर्षण के दबाव (1जी) में रहती हैं, लेकिन अंतरिक्ष में यह दबाव खत्म हो जाता है। इसी कारण अंतरिक्ष यात्रियों को नियमित व्यायाम करना पड़ता है, फिर भी कुछ मांसपेशियां प्रभावित हो जाती हैं।

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