धनतेरस 12 व दीपावली 14 को, 16 तक चलेगा उत्सव
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ: 12 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को सूर्योदय 6 बजकर 35 मिनट पर और द्वादशी तिथि सायंकाल 6 बजकर 31 मिनट तक है। इसके बाद त्रयोदशी तिथि है। धर्म शास्त्र के अनुसार जिस दिन प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि हो, उसी दिन धनतेरस का पर्व मान्य है। इसलिए धनतेरस और धन्वन्तरि जयन्ती का आयोजन इसी दिन किया जायेगा। त्रयोदशी 13 नवम्बर दिन शुक्रवार को सांयकाल 4 बजकर 11 मिनट तक है। इस मध्य धनतेरस सम्बन्धी सभी कार्य खरीददारी आदि की जा सकती है। इस दिन सूर्यास्त 5 बजकर 25 मिनट पर और प्रदोष बेला (सूर्यास्त मे 6 घटी अर्थात 2 घंटा 24 मिनट संयुक्त करने पर) 7 बजकर 49 मिनट तक होने से धनतेरस इसी दिन मान्य रहेगा।
आचार्य शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि इस दिन तेल से मालिश कर स्नान करना चाहिए। धनतेरस के दिन जब तक त्रयोदशी हो, आभूषण एवं बर्तन खरीदने चाहिए । इस दिन पूजन करने के लिए लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं का भी क्रय किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रदोष काल में यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है। धनाध्यक्ष कुबेर की भी पूजा की जाती है।
नरक चतुर्दशी 13 को
दीपावली पर्व का द्वितीय दिन 13 नवम्बर दिन शुक्रवार को है । इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 35 मिनट पर और त्रयोदशी तिथि सायंकाल 4 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद पश्चात चतुर्दशी तिथि है। इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन लगाकर शीतल जल से स्नान करने का विधान है। ऐसा करने से नरक जाने का भय नहीं रहता है। इसे रूप चतुर्दशी या छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम के निमित्त दीप जलाया जाता है।