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नेपाल में सख्ती बढ़ी तो रोहिंग्याओं ने ट्रांजिट रूट ही बदला

रायबरेली के सलोन क्षेत्र में जन्म प्रमाणपत्रों के फर्जीवाड़े की जांच में जुटी पुलिस को यूपी एटीएस के साथ ही आईबी ने अहम इनपुट मुहैया कराए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण जानकारी रोहिंग्या के ट्रांजिट रूट में बदलाव की है। नेपाल में संख्या बढ़ने के विरुद्ध शुरू हुए प्रदर्शन के बीच रोहिंग्या अब भारत के सीमावर्ती जिलों में ठिकाने की तलाश में हैं। 

इनमें उत्तर प्रदेश के बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, पीलीभीत व लखीमपुर पर भी इनकी नजर है। ऐसे में संबंधित जिलों को अलर्ट किया गया है। रोहिंग्या बड़ी संख्या में वर्ष 2012 में बंगाल, असम, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश होते हुए नेपाल तक पहुंचे। बंगाल से ट्रेन के माध्यम से दिल्ली और फिर वहां से पाकिस्तान की सीमा से सटे संवेदनशील जम्मू-कश्मीर तक भी गए। इनमें अधिकतर ने बरेली की ही तरह फर्जी तरीके से निर्वाचन कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट तक बनवा लिए। नेपाल में रोहिंग्या की बस्तियों का विस्तार हुआ तो पारंपरिक कामों में भी वे दखल देने लगे। 

इससे स्थानीय लोगों का हित प्रभावित होने लगे। इससे विरोध बढ़ा तो रोहिंग्यों ने अब भारतीय क्षेत्रों में ठिकाने की तलाश शुरू कर दी है। इसके तहत बिहार के साथ ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर और बहराइच में भी घुसपैठ की कोशिश की है। बीते दिनों इन जिलों में इनकी सक्रियता के संकेत भी मिले हैं।

इन जिलों पर है पैनी नजर
इनमें उत्तर प्रदेश के बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर,  महराजगंज, पीलीभीत व लखीमपुर पर भी इनकी नजर है। 

कुशीनगर से एटीएस ने दो को उठाया
रायबरेली के सलोन में बंग्लादेशी रोहिंग्या नागरिकों का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले में जांच कर रही एटीएस देर शाम को कुशीनगर पहुंची। जन्म प्रमाण पत्र जारी करने में जिले के स्वास्थ्य विभाग के आईडी पासवर्ड का भी प्रमाण पत्र बनाने में इस्तेमाल किया गया है। तरयासुजान से सीएसपी संचालक और विशुनपुरा सीएचसी पर तैनात डाटा ऑपरेटर को साथ लेकर चली गई। 

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