सलीम की दुकान बंद, वसीम का ढाबा चलाएगा मनोज
स्वतंत्रदेश,लखनऊकांवड़ मार्गों की खाने-पीने की दुकान पर संचालकों का नाम और पहचान अनिवार्य कर दिए जाने से दुकानदारों में बेचैनी बढ़ गई है। कांवड़ यात्रा तक कईं दुकानें बंद करने का फैसला लिया गया। अल्पसंख्यक समाज के कुछ दुकानदारों ने दूसरे समुदाय के लोगों को दुकान किराए पर दी या फिर साझेदारी कर ली है। करीब 240 किमी के कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के बीच ऊहापोह की स्थिति है।उत्तराखंड से गंगाजल लेकर कांवडिये जिले में भूराहेड़ी चेकपोस्ट से प्रवेश करते हैं। सरकार के आदेश का असर पुरकाजी में हाईवे, छपार, रामपुर तिराहा, सिसोना, कच्ची सड़क और रुड़की पर खूब दिखा।पुरकाजी निवासी सलीम छपार टोल प्लाजा के निकट लंबे समय से चाय की दुकान चला रहे हैं। पुलिस के फैसले के बाद कांवड़ यात्रा संपन्न होने तक दुकान बंद रखने का फैसला लिया है। वह कहते हैं कि परेशानी जरूरी होगी, लेकिन किसी झमेले में नहीं पड़ना चाहते। दुकान पर पर्दा लगा दिया गया है।
छपार के निकट ही बहेड़ी निवासी वसीम का ढाबा है। नए नियमों के बाद अब उसने ढाबा छपार निवासी मनोज पाल को एक माह के लिए किराए पर दिया है। वह कहते हैं कि हमें प्रशासन के नियम से कोई परेशानी नहीं है। कांवड़ यात्रा के बाद फिर से अपना काम शुरू कर दिया जाएगा।
समानता का भाव रहना चाहिए: शराफत
शहर के कच्ची सड़क पर मिठाई की दुकान चलाने वाले शराफत कहते हैं कि फैसले से दिक्कत नहीं है, लेकिन समान भाव से लागू होना चाहिए। सबको मिल जुलकर ही रहना है। उनका परिवार पिछले 50 साल से दुकान चला रहा है और कांवड़ यात्रा में भी हर संभव सहयोग करते हैं।
दोनों समुदाय के बीच बढ़ेगी दरार: आरिफ
फल विक्रेता मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि कभी भी हिंदु-मुस्लिम को अलग नहीं किया जा सकता। लेकिन इस तरह के फैसले से दरार बढ़ती है। सरकार के आदेश का पालन पुलिस करा रही है, लेकिन इसे समाज हित में सही नहीं कहा जा सकता।
दोनों समुदाय के बीच बढ़ेगा फासला : अशोक
दिल्ली-दून हाईवे पर होटल मैनेजर अशोक कुमार कहते हैं कि इस फैसले को व्यक्तिगत रूप से सही नहीं मानते। दोनों समुदाय के बीच फासला बढ़ेगा। कांवड़ यात्रा में सभी का सहयोग रहता है। लोगों को रोजगार भी मिलता है। सभी दुकानों पर नाम लिखे होते हैं, लेकिन विशेष तौर पर प्रदर्शित कराने को वह सही नहीं मानते।
कांवड़ मार्ग पर इस तरह बढ़ रही बेचैनियां
पूरे प्रदेश के लिए लागू हुए नियम के बाद कांवड़ मार्ग पर दुकानें चलाने वालों की बेचैनी बढ़ गई है। पुरकाजी से छपार के बीच ढाबा और दुकान चला रहे कईं मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू समाज के अपने परिचितों को साझीदार किया है। इसके अलावा किराए पर भी दुकानें दी गई हैं। फल विक्रेता सद्दाम कहते हैं कि अगर मामला बढ़ा तो कांवड़ यात्रा खत्म होने तक ठैली नहीं लगाएंगे।