उत्तर प्रदेशलखनऊ

  पूर्व विधायक के भाई पर हमले में पूर्व ब्लाक प्रमुख भाई सहित बरी

स्वतंत्रदेश,लखनऊअलीगढ़ में इगलास के पूर्व विधायक स्व. मलखान सिंह के भाई दलवीर सिंह पर हमले के मुकदमे में गोंडा के हिस्ट्रीशीटर पूर्व ब्लॉक प्रमुख को राहत मिली है। अपर सत्र न्यायालय ने कमजोर साक्ष्यों के आधार पर हमले के 14 वर्ष पुराने मुकदमे में पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रदीप सिंह व उसके भाई को बरी कर दिया है। बता दें कि प्रदीप पहले से मलखान सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता है और बुलंदशहर जेल में निरुद्ध है।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजीव शर्मा के अनुसार घटना 6 मई 2010 की है। आरोप के अनुसार वादी मुकदमा पूर्व विधायक मलखान सिंह के भाई दलवीर सिंह निवासी रामप्यारी विहार मैलरोज बाईपास अपने भाई मलखान सिंह के ज्ञान सरोवर स्थित के बाहर खड़े थे। वहां भतीजे पुष्पेंद्र से बात कर रहे थे। तभी बिना नंबर की एक सेंट्रो कार में सवार नामजद हमलावर आए। जान से मारने की नीयत से वादी व भतीजे पर फायर किए। मगर वे दीवार की आड़ लेकर बच गए।

फायरिंग की आवाज पर जब तक गार्ड बाहर आते, तब तक कार सवार हमलावर रमेश विहार की ओर भाग गए। तहरीर के अनुसार वे अपने भाई स्व.मलखान सिंह की हत्या का मुकदमा लड़ रहे हैं। जिसमें गवाही चल रही हैं। उसी रंजिश में हत्या के इरादे से हमला किया गया। क्वार्सी पुलिस ने मामले में चिंता की नगरिया गोंडा के जितेंद्र उर्फ जीतू, शहरी मदन गढ़ी के प्रदीप सिंह, उसके भाई एसके उर्फ सुधीर, हरदुआगंज कलाई के रॉबी व जेवर गौतमबुद्ध नगर के शरीफ को नामजद किया।

जांच में उजागर हुआ कि घटना के समय जीतू किसी अन्य मुकदमे में आगरा जेल में निरुद्ध था। बाकी रॉबी व शरीफ के खिलाफ पत्रावली कमिट नहीं हो सकी। प्रदीप व सुधीर के खिलाफ दायर चार्जशीट के आधार पर ट्रायल हुआ। इसी ट्रायल में बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मौके से न तो हथियार मिले और न खोखा या कारतूस मिले। न पुलिस ने कार बरामद की।

साथ में पत्रावली में कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है, जिससे घटना में नामजदों की भूमिका को माना जा सके। अदालत ने बचाव पक्ष के इन्हीं तर्कों के आधार पर प्रदीप व सुधीर को बरी कर दिया। बता दें कि प्रदीप बाद में गोंडा से ब्लॉक प्रमुख भी रहा है। वर्तमान में वह मलखान सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता है और बुलंदशहर जेल में निरुद्ध है।

ये है मामला
पूर्व विधायक स्व.मलखान सिंह की राजनीतिक रंजिश में मार्च 2006 में हत्या की गई। जिसमें जिले के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू, उनका साला पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रदीप सिंह सहित एक दर्जन आरोपी बने। इन सभी को पिछले वर्ष बुलंदशहर सत्र न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी जेल में निरुद्ध हैं। अधिवक्ता संजीव शर्मा के अनुसार बचाव पक्ष ने यह तर्क भी रखा था कि इसी मुकदमे में चूंकि नामजद जमानत पर आ गए थे। इसलिए उनकी जमानत तुड़वाने के मकसद से यह मुकदमा दर्ज कराया गया। जिस दिन का यह मुकदमा क्वार्सी थाने में दलवीर सिंह की ओर से कराया गया। उसी दिन हिस्ट्रीशीटर प्रदीप आदि पर भागते समय के पुलिस मुठभेड़ के दो अन्य मुकदमे भी पुलिस ने लिखे थे।

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