उत्तर प्रदेशराज्य

ज्ञानवापी के सील वजूखाने का एएसआई सर्वे होगा या नहीं?

तंत्रदेश,लखनऊवाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने (शिवलिंग जैसी आकृति को छोड़ कर) के एएसआई सर्वे की मांग पर आज जिला जज की अदालत में आदेश संभव है। बीते गुरुवार को ही इस मामले में सुनवाई पूरी हो गई थी। अदालत ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पत्रावली सुरक्षित रखते हुए आदेश के लिए 21 अक्तूबर की तिथि तय की थी।इधर, ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे जारी है। अब सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक ही सर्वे का काम हो रहा है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत के आदेश से ज्ञानवापी में एएसआई की टीम 24 जुलाई से सर्वे कर रही है। 

 शिवलिंग जैसी आकृति की पूजा की मांग पर भी आदेश संभव 

बीते साल ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी आकृति को आदि विश्वेश्वर बताते हुए उनके राग-भोग और दर्शन-पूजन की मांग को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से अधिवक्ता रमेश उपाध्याय द्वारा वाद दाखिल किया गया है। इस वाद पर आदेश के लिए जिला जज ने 21 अक्तूबर की तिथि नियत की है।

हिंदू पक्षकार राखी सिंह का पक्ष अधिवक्ता सौरभ तिवारी, मानबहादुर सिंह और अनुपम द्विवेदी ने रखा। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 के आदेश में शिवलिंग क्षेत्र अर्थात वजूखाना को केवल सुरक्षित व संरक्षित रखने का आदेश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहीं भी उक्त आदेश में वजूखाने क्षेत्र को सील करने की बात नहीं कही गई है। जिला प्रशासन द्वारा उक्त जगह को सील किया गया है। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत चार अगस्त के फैसले में एएसआई को स्पष्ट निर्देश दिया है कि ज्ञानवापी की मौजूदा संरचना को नुकसान पहुंचाए बगैर वह ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वे करे।

एएसआई की तरफ से सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया जा चुका है कि इमारत को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के गत तीन अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक त्रिपाठी द्वारा एफिडेविट दायर किया गया था। उसमें स्पष्ट किया गया है कि एएसआई का वैज्ञानिक सर्वे पूर्णतया सुरक्षित रहेगा। ऐसे में वर्तमान परिदृश्य में वजूखाने (शिवलिंग जैसी आकृति छोड़कर) की एएसआई सर्वे की अनुमति दी जाती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं होगी। वजूखाने को कोई नुकसान भी नहीं होगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार यथास्थिति बनी रहेगी। वजूखाना क्षेत्र का एएसआई सर्वे आवश्यक एवं दोनों ही पक्षों के हित में है।

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