राजनीति

बसपा के दांव से बढ़ी बेचैनी

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने यूं तो नौ फार्म मंगा लिए थे, परंतु गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी द्वारा उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने से ऊहापोह की स्थिति बन गई है। विधानसभा में दूसरे बड़े दल समाजवादी पार्टी द्वारा केवल प्रत्याशी प्रो. राम गोपाल यादव का नामांकन कराए जाने से भाजपाइयों की निर्विरोध निर्वाचन होने की उम्मीद मजबूत हुई थी। भारतीय जनता पार्टी को भरोसा था कि पर्याप्त वोट न होने और विपक्षी दलों में आपसी तालमेल बिगड़ने से एकजुटता नहीं बन पाएगी। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी अपने नौ नेताओं को राज्यसभा में पहुंचाने में कामयाब हो जाएगी।

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने यूं तो नौ फार्म मंगा लिए थे परंतु गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी द्वारा उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने से ऊहापोह की स्थिति बन गई है।

सूत्रों का कहना है कि बुधवार को लखनऊ स्थित भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में संपन्न चुनाव समिति की बैठक में राज्यसभा के लिए करीब 15 नामों पर विचार किया गया था। माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी एक और भारतीय जनता पार्टी को नौ उम्मीदवार जीताने में कोई मुश्किल न होगी। इसके चलते नौ नामांकन पत्र मंगा लिए गए, जिसमें से दो की उम्मीदवारी लगभग तय है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी व राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह फिर से राज्यसभा जाएंगे। इसके लिए कागजी औपचारिता तेजी से पूरी करायी जा रही है।

अन्य स्थानों के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व से हरी झंडी का इंतजार है परंतु नीरज शेखर का नाम भी लगभग फाइनल बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि दो प्रदेश अध्यक्षों पर बैठक में विचार किया गया। जातीय संतुलन बनाने के लिए पिछड़े व अनुसूचित जाति से जुड़े नेताओं पर भी चर्चा की गई। प्रदेश अध्यक्ष को दिल्ली कार्यालय से संपर्क व संवाद बनाकर रखने को कहा गया।

बसपा ने बिगाड़ा गणित : बसपा द्वारा उम्मीदवार उतारने के फैसले से भाजपा में नौवें प्रत्याशी को लेकर मंथन तेज हो गया है। एक खेमा निर्दल उम्मीदवार को उतारने की पैरोकारी कर रहा है। उनका कहना है कि विशेष परिस्थिति में नौवां प्रत्याशी निर्दल रहकर हार भी जाता है तो पार्टी की किरकिरी नहीं होगी। इसके विपरित नौवां उम्मीदवार भी भाजपा से ही होने की वकालत करने वाले भी कम नहीं। उनका कहना है चुनाव से पहले ही कदम पीछे खींच लेने का गलत संदेश जाएगा। उनको सपा, बसपा और कांग्रेस के बागियों का भी साथ मिलने की उम्मीद है।

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