अयोध्या में पांच वर्ष की आयु वाले स्वरूप में विराजेंगे श्रीराम
स्वतंत्रदेश, लखनऊ:अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 16 से 24 जनवरी के बीच होगी। मंदिर में भगवान श्रीराम के पांच वर्ष की आयु वाली मूर्ति की स्थापना की जा रही है। यह कहना है श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का।चंपत राय सोमवार को काशी आए और शहावाबाद में पत्रकारों से बात की है। उन्होंने कहा कि मंदिर में स्थापित होने वाली मूर्ति का स्वरूप वाल्मीकि रामायण से लिया गया है। अभी तक यह तय नहीं है कि दिव्य, भव्य व नव्य राम मंदिर का उद्घाटन कौन करेगा। संत या फिर कोई भी व्यक्ति उद्घाटन कर सकता है। सितंबर तक गर्भगृह और अक्तूबर तक रामलला की मूर्ति का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। गर्भगृह निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर के मुख्य द्वार पर 25 हजार श्रद्धालुओं के सामान रखने की व्यवस्था रहेगी।
भगवान के मुख मंडल पर पड़ेगी सूर्य की पहली किरण
महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान राम सूर्यवंशी हैं, इसलिए मूर्ति को खास तरह से तैयार कराया जा रहा है। भगवान सूर्य की पहली किरण प्रभु के मुख मंडल पर ही पड़ेगी। इसमें आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया गया है। वैज्ञानिकों ने ललाट को 51 इंच पर स्थापित करने की सलाह दी है। मूर्ति खड़ी मुद्रा में रहेगी, जिसकी लंबाई 55 इंच रखी गई है। पैर से ललाट तक 51 इंच की लंबाई रहेगी। मंदिर के खंभों पर नक्काशी का काम जारी है। रामलला विग्रह का निर्माण कार्य कर्नाटक व राजस्थान के मूर्तिकार कर रहे हैं।
खंभों की दीवारों पर बनेंगे ताखे
महासचिव ने बताया कि गर्भ गृह के गेट पर हनुमान और गणपति की दो प्रतिमाएं लगेंगी। दरवाजे के खंभों की दीवार पर ताखे (गऊंखा) बनाए जाएंगे। मूर्तियों को रखने के लिए ताखे की गहराई और चौड़ाई तय की जा रही है। बनारस और लखनऊ विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स के प्रोफेसर आए थे। उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। चंपत राय ने कहा कि हजारों की संख्या में मूर्तियों को बनाया जाना है। खंभों के अंदर लगने वाली मूर्तियों पर विचार-विमर्श हुआ। इसमें शिक्षकों की आगे भी मदद ली जाएगी।
पत्थर व तांबे का प्रयोग
महासचिव ने बताया कि मंदिर निर्माण में पत्थर व तांबे का प्रयोग किया जा रहा है। पत्थरों को जोड़ने के लिए जो कुंजी है, वह भी पत्थर और तांबे की है। कर्नाटक, तेलगांना, राजस्थान के संगमरमर का प्रयोग किया जा रहा है। मंदिर परिसर में रामचरितमानस से जुड़ी महान विभूतियों की मूर्ति भी लगाई जाएगी । अन्नपूर्णा मंदिर के पास ही भोजनालय बनाया जाएगा। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय मंत्री पंकज, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारिणी सदस्य गोपाल मौजूद रहे।