आदिपुरुष बनाने वालों पर हाईकोर्ट सख्त
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:फिल्म आदिपुरुष में श्रीराम कथा को बदलकर निम्नस्तरीय दिखाने के आरोपों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, हमलोग इस पर आंखें बंद कर लें क्योंकि इस धर्म के लोग बड़े सहिष्णु हैं तो क्या इसकी परीक्षा ली जाएगी।कोर्ट ने सरकारी वकील के यह कहने पर कि फिल्म में डिसक्लेमर दिखाया गया है, मौखिक टिप्पणी की कि फिल्म में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण और लंका को दिखा रहे हैं। फिर डिसक्लेमर में कहते हैं कि यह रामायण नहीं है। ऐसा करके क्या लोगों व युवाओं को बिना दिमाग वाला समझते हैं।
मामले में कोर्ट ने केंद्र के वकील को पूरी जानकारी लेकर बुधवार को जवाब पेश करने को कहा कि सिनेमा कानून के तहत क्या कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को याचिका में पक्षकार बनाने की अर्जी मंजूर कर उन्हें नोटिस जारी की है। मामले की अगली सुनवाई 28 जून को नियत की है।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश एक विचाराधीन जनहित याचिका में याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी की दाखिल दो अर्जियों पर पर दिया। याची ने मामले में विचाराधीन पीआईएल में दो अर्जियां दाखिल कर इसमें संशोधन करने और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। साथ ही आपत्तिजनक सामग्री और सनातन आस्था के साथ जानबूझकर किए गए प्रहार को रोकते हुए फिल्म आदिपुरुष पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
फिल्म आदिपुरुष के खिलाफ नई याचिका दाखिल
फिल्म आदिपुरुष के खिलाफ मंगलवार को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में नई याचिका दायर हुई है। इसमें सेंसर बोर्ड से जारी फिल्म का प्रमाणपत्र रद्द करने का आग्रह किया गया है। कोर्ट ने इस याचिका को पहले से विचाराधीन पीआईएल के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। नवीन धवन व एक अन्य व्यक्ति ने यह याचिका दायर की है।