यूपी में निजी वाहनों पर नहीं होनी चाहिए ‘जी’ सीरीज की नंबर प्लेट
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ रामपुर में ‘जी’ सीरीज के नंबर निजी वाहनों को रेवड़ियों की तरह बांट दिए गए। राजकीय के नंबर निजी वाहनों के आवंटन पर परिवहन विभाग सख्त हो गया है अब सभी निजी वाहनों से ”जी” सीरीज के नंबर हटाए जाएंगे।

सरकारी वाहनों की नीलामी में भी खरीदार ‘जी’ सीरीज के नंबर का उपयोग नहीं कर सकेंगे, बल्कि उसे नीलामी के बाद अनिवार्य रूप से नया नंबर दिया जाएगा, जिन वाहनों को ‘जी’ सीरीज के नंबर आवंटित हो चुके हैं, उन वाहन स्वामियों को 60 दिन में बदलने का समय दिया गया है।उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की ओर से कहा गया है कि ‘जी’ नंबर सीरीज वाली सभी पंजीयन-श्रृंखलाएं केवल राजकीय वाहनों के लिए आरक्षित हैं। किसी भी राजकीय वाहन के नीलामी या हस्तांतरण के बाद वाहन निजी स्वामित्व में आते ही ‘जी’ चिह्न स्वतः अमान्य होगा और निजी श्रेणी का नया पंजीयन-नंबर अनिवार्य रूप से जारी किया जाएगा।
यह व्यवस्था मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 41(6), 53 व केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 50/55/57 और उप्र मोटरयान नियमावली 1998 के नियम 51/51-ए के अनुरूप है।
ऐसे सभी वाहन जो किसी विभाग/संस्था से नीलामी/हस्तांतरण के बाद निजी स्वामित्व में आ गए हैं और जिन पर अब भी ‘जी’ अंकित है। वे अपने क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) में जाकर नया निजी पंजीयन-नंबर प्राप्त करें, उन्हें नया पंजीकरण प्रमाणपत्र लेकर नई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाना होगा।
यह कार्य 60 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरा करना होगा। लोगों की सुविधा के लिए जहां तक संभव होगा, नये नंबर में अंतिम चार अंक देने का प्रयास होगा। इस कार्य में केवल पुन: आरसी प्रिंट व एचएसआरपी लागत देनी होगी।
समय सीमा में प्रक्रिया न होने पर आरसी का निलंबन सहित अन्य कार्रवाई की जाएगी। इसका असर वाहन के बीमा व कर आदि पर नहीं पड़ेगा।परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा है कि राजकीय ‘जी’ पहचान का निजी उपयोग वर्जित है। सभी प्रभावित वाहन स्वामी निर्धारित 60 दिनों में अपना नया निजी पंजीयन-नंबर व एचएसआरपी अवश्य प्राप्त करें। प्रक्रिया सरल, पारदर्शी है। विलंब होने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह क्यों जरूरी
रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र व एचएसआरपी और नंबर-डेटा से चालान व टोल सिस्टम की सटीकता रहती है।
‘जी’ केवल राजकीय स्वामित्व तक सीमित है ; निजी स्वामित्व में इसका बना रहना नियम-विरुद्ध है।
सरकारी पहचान है, निजी वाहन पर इससे टोल/प्रवेश-नियंत्रण में भ्रम/दुरुपयोग का जोखिम बढ़ता है।