पूर्वांचल की जेलों में जगह नहीं, हर जगह क्षमता से अधिक बंदी
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:पूर्वांचल की जेलों में क्षमता से दोगुना और तीन गुना से अधिक बंदी निरुद्ध हैं। बंदियों की तुलना में निगरानी करने वाले कारागार कर्मियों की संख्या काफी कम है। ऐसे में सीसीटीवी कैमरे पूर्वांचल की जेलों के अफसरों और कर्मियों के लिए बड़ी मददगार की भूमिका निभा रहे हैं। इस बीच एक सुधार जरूर यह हुआ है कि जेलों से मोबाइल बरामद होने की घटनाओं में भारी कमी आई है।प्रदेश की जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों और उनके नेटवर्क पर नकेल कसने के लिए बीते अप्रैल महीने में पांच आईपीएस अफसरों को निरीक्षण का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। बावजूद जेलों की मूलभूत समस्याएं जस की तस हैं। वाराणसी की जिला जेल की क्षमता 747 बंदियों की है।
रविवार को जिला जेल में निरुद्ध बंदियों की संख्या 2285 थी। इन बंदियों की निगरानी के लिए 83 बंदीरक्षक तैनात हैं। इस बीच जिला जेल में 60 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं, ताकि बंदियों की निगरानी में सहूलियत हो। जेलर वीरेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि क्षमता से अधिक बंदियों की निगरानी बड़ी समस्या है। लेकिन, उपलब्ध मानव संसाधन के आधार पर बेहतर तरीके से कामकाज किया जा रहा है।वाराणसी की जिला जेल के जेलर वीरेंद्र त्रिवेदी ने कहा कि जेलों से बंदियों की भीड़ को कम करने के लिए कुछ विशेष उपाय सरकार और गैर सरकारी संगठनों के स्तर पर किए जा रहे हैं। इनमें से सबसे अहम यह है कि छोटे-मोटे अपराधों में जेल में दाखिल बंदियों के मुकदमों का जल्द निस्तारण कराना है। सजा पूरी करने के बाद जुर्माना न भर पाने के कारण जेलों में निरुद्ध बंदियों की रिहाई भी उसी कवायद का अहम हिस्सा है।