सात नगर निगमों में कहीं सीधा तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण में 38 जिलों में बृहस्पतिवार को मतदान होगा। लोकसभा चुनाव से करीब एक वर्ष पहले हो रहे निकाय चुनाव में 7 नगर निगम, 95 नगर पालिका परिषद, 268 नगर पंचायत में मतदाताओं की कसौटी पर राजनीतिक दलों की परीक्षा होगी। सात नगर निगम के साथ जिला मुख्यालय की 31 नगर पालिका परिषद के चुनाव नतीजों पर सभी की नजर रहेगी। नगर निगम चुनाव में अलीगढ़, शाहजहांपुर, मेरठ और कानपुर में जहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं। वहीं गाजियाबाद में भाजपा का पलड़ा भारी है। अयोध्या और बरेली में भाजपा-सपा के बीच सीधा मुकाबला है।
2017 में अलीगढ़ और मेरठ नगर निगम में बसपा ने जीत दर्ज की थी। वहीं गाजियाबाद, अयोध्या, बरेली और कानपुर में भाजपा का परचम फहरा था। सपा के हाथ एक भी नगर निगम नहीं लगी थी। निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है। लिहाजा भाजपा ने सभी सात नगर निगम में भगवा परचम फहराने में ताकत लगाई है। वहीं सपा ने भी इस बार नगर निगम में खाता खोलने के लिए हर संभव प्रयास किया है। उधर, बसपा ने सभी सात में से पांच नगर निगम में मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेँध लगाने का प्रयास किया है। माना जा रहा है कि बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी जितना वोट पाएंगे उतना ही सपा को नुकसान होगा।
अलीगढ़ में त्रिकोणीय मुकाबला
अलीगढ़ नगरग निगम में 2017 में बसपा ने बाजी मारी थी। इस बार महापौर चुनाव में भाजपा ने प्रशांत सिंघल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा ने जमीर उल्लाह और बसपा से सलमान शाहिद प्रत्याशी है। धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर होने वाले मतदान के दम पर इस बार भी अलीगढ़ महापौर पद पर त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है। भाजपा लगातार चार बार से जीती हुई सीट को 2017 में हारने के बाद अब हर कीमत पर वापसी को प्रयासरत है। इस बार नगर निगम अलीगढ़ सीमा विस्तार के बाद 9 लाख मतदाता मतदान करेंगे। अलीगढ़ में 9 लाख मतदाताओं में से तीन लाख मुसलमान, सवा लाख अनुसूचित, 2 लाख वैश्य, सवा लाख ब्राह्मण और शेष में वीसी व सामान्य वर्ग की जातियां हैं। भाजपा मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पार्षद पद पर 18 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।