उत्तर प्रदेशराज्य

अब उपयोगिता नंबरों के आधार पर ही होगा सड़कों का नवनिर्माण और चौड़ीकरण

स्वतंत्रदेश , लखनऊ:योगी सरकार सड़कों की स्वीकृति में मनमानी और सेटिंग का खेल खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश में चौड़ीकरण व नव निर्माण के लिए प्रस्तावित हर सड़क को तय मानकों के आधार पर उपयोगिता नंबर दिए जाएंगे, जिसके आधार पर उन सड़कों की वरीयता सूची तैयार की जाएगी। उपयोगिता नंबरों का पूर्णांक 100 होगा। वहीं प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तय फार्मूले के तहत ही सभी जिलों को बजट आवंटित होगा।इसके लिए अति शीघ्र नई नीति लाई जा रही है। वर्तमान में लागू व्यवस्था के अनुसार, पैंसजर कार यूनिट (पीसीयू) के आधार पर सड़कों के चौड़ीकरण या नवनिर्माण की कार्ययोजना तैयार की जाती है। अक्सर इसको लेकर सवाल उठते रहे हैं कि कम पीसीयू या उपयोगिता वाली सड़कों को तरजीह दी गई या फिर प्रति व्यक्ति आय जिन जिलों की ज्यादा है यानी जो ज्यादा विकसित हैं, उन्हें ही ज्यादा बजट दे दिया गया।

इसलिए सरकार ने सड़कों के चौड़ीकरण और नव निर्माण में वरीयता निर्धारण के लिए पारदर्शी नीति लाने का फैसला किया है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय असमानता को कम करना है। आमतौर पर जन प्रतिनिधियों के प्रस्ताव या विभागीय समीक्षा में जरूरी समझे जाने पर चौड़ीकरण व नव निर्माण के काम स्वीकृत किए जाते हैं।

आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों को प्राथमिकता
प्रस्तावित नीति के अनुसार, जिलेवार बजट आवंटन और जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावित कार्यों को कराने के लिए दो चरण वाली रणनीति लागू की जाएगी। पहले चरण के अंतर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों में मार्गों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रदेश के सभी जिलों को प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) के बढ़ते क्रम में सूचीबद्ध किया जाएगा। इसके आधार पर पीसीआई इंडेक्स (सूचकांक) तय होगा। सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले जिले का पीसीआई इंडेक्स 100 होगा और उसी अनुपात में अन्य जिलों का पीसीआई इंडेक्स निर्धारित किया जाएगा। जिस जिले की प्रति व्यक्ति आय कम होगी, उसका पीसीआई इंडेक्स उतना ही ज्यादा होगा और उसी अनुपात में उसे ज्यादा बजट दिया जाएगा।

सड़कों के चयन का होगा सुनिश्चत आधार
जो सड़कें चौड़ीकरण या नवनिर्माण के लिए प्रस्तावित की जाएंगी, दूसरे चरण में उन्हें निर्धारित मापदंडों के आधार पर 100 पूर्णांक में से अंक दिए जाएंगे। ये मापदंड होंगे -उस सड़क से जुड़ने वाले गांवों की संख्या, बाजार, हाईवे, एक्सप्रेसवे कनेक्टिवटी, मेडिकल सुविधा और सड़क पर ट्रैफिक का स्तर। इन अंकों के आधार पर वरीयता सूची बनेगी और उसी के अनुसार काम कराने के लिए सड़कों का चयन होगा। अगर उस जिले को आवंटित बजट में वहां वरीयता सूची में शामिल सभी सड़कों पर काम नहीं हो सकता है तो शेष सड़कों को अगले वित्त वर्ष की कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा।

यह है सड़कों को उपयोगिता अंक देने का फार्मूला
गांव की संख्या (अधिकतम अंक : 30) : संबंधित सड़क से पांच से कम गांव जुड़ने पर 10 अंक, 5-10 गांव जुड़ने पर 20 अंक और 10 से ज्यादा गांव जुड़ने पर 30 अंक मिलेंगे। बाजार सुविधा, हाईवे व एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी (अधिकतम अंक : 20) : शुगर मिल होने पर 5 अंक, वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, एग्रो एंड फूड प्रोसेसिंग इकाई व इंडस्ट्रियल पार्क होने पर 10 अंक, बड़ी मार्केट या मंडी होने पर 20 अंक और कनेक्टिंग हाईवे या एक्सप्रेसवे होने पर 20 अंक।

योगी सरकार सड़कों की स्वीकृति में मनमानी और सेटिंग का खेल खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश में चौड़ीकरण व नव निर्माण के लिए प्रस्तावित हर सड़क को तय मानकों के आधार पर उपयोगिता नंबर दिए जाएंगे, जिसके आधार पर उन सड़कों की वरीयता सूची तैयार की जाएगी। उपयोगिता नंबरों का पूर्णांक 100 होगा। वहीं प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तय फार्मूले के तहत ही सभी जिलों को बजट आवंटित होगा।

इसके लिए अति शीघ्र नई नीति लाई जा रही है। वर्तमान में लागू व्यवस्था के अनुसार, पैंसजर कार यूनिट (पीसीयू) के आधार पर सड़कों के चौड़ीकरण या नवनिर्माण की कार्ययोजना तैयार की जाती है। अक्सर इसको लेकर सवाल उठते रहे हैं कि कम पीसीयू या उपयोगिता वाली सड़कों को तरजीह दी गई या फिर प्रति व्यक्ति आय जिन जिलों की ज्यादा है यानी जो ज्यादा विकसित हैं, उन्हें ही ज्यादा बजट दे दिया गया।

इसलिए सरकार ने सड़कों के चौड़ीकरण और नव निर्माण में वरीयता निर्धारण के लिए पारदर्शी नीति लाने का फैसला किया है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय असमानता को कम करना है। आमतौर पर जन प्रतिनिधियों के प्रस्ताव या विभागीय समीक्षा में जरूरी समझे जाने पर चौड़ीकरण व नव निर्माण के काम स्वीकृत किए जाते हैं।

आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों को प्राथमिकता
प्रस्तावित नीति के अनुसार, जिलेवार बजट आवंटन और जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावित कार्यों को कराने के लिए दो चरण वाली रणनीति लागू की जाएगी। पहले चरण के अंतर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों में मार्गों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रदेश के सभी जिलों को प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) के बढ़ते क्रम में सूचीबद्ध किया जाएगा। इसके आधार पर पीसीआई इंडेक्स (सूचकांक) तय होगा। सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले जिले का पीसीआई इंडेक्स 100 होगा और उसी अनुपात में अन्य जिलों का पीसीआई इंडेक्स निर्धारित किया जाएगा। जिस जिले की प्रति व्यक्ति आय कम होगी, उसका पीसीआई इंडेक्स उतना ही ज्यादा होगा और उसी अनुपात में उसे ज्यादा बजट दिया जाएगा।

सड़कों के चयन का होगा सुनिश्चत आधार
जो सड़कें चौड़ीकरण या नवनिर्माण के लिए प्रस्तावित की जाएंगी, दूसरे चरण में उन्हें निर्धारित मापदंडों के आधार पर 100 पूर्णांक में से अंक दिए जाएंगे। ये मापदंड होंगे -उस सड़क से जुड़ने वाले गांवों की संख्या, बाजार, हाईवे, एक्सप्रेसवे कनेक्टिवटी, मेडिकल सुविधा और सड़क पर ट्रैफिक का स्तर। इन अंकों के आधार पर वरीयता सूची बनेगी और उसी के अनुसार काम कराने के लिए सड़कों का चयन होगा। अगर उस जिले को आवंटित बजट में वहां वरीयता सूची में शामिल सभी सड़कों पर काम नहीं हो सकता है तो शेष सड़कों को अगले वित्त वर्ष की कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा।

यह है सड़कों को उपयोगिता अंक देने का फार्मूला
गांव की संख्या (अधिकतम अंक : 30) : संबंधित सड़क से पांच से कम गांव जुड़ने पर 10 अंक, 5-10 गांव जुड़ने पर 20 अंक और 10 से ज्यादा गांव जुड़ने पर 30 अंक मिलेंगे। बाजार सुविधा, हाईवे व एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी (अधिकतम अंक : 20) : शुगर मिल होने पर 5 अंक, वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, एग्रो एंड फूड प्रोसेसिंग इकाई व इंडस्ट्रियल पार्क होने पर 10 अंक, बड़ी मार्केट या मंडी होने पर 20 अंक और कनेक्टिंग हाईवे या एक्सप्रेसवे होने पर 20 अंक।

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