उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ कारोबारियों की बढ़ी मुसीबत

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) के बाबुओं व अफसरों से मिलीभगत करके लीज गार्डन के नाम पर ली गई जमीनों का उपयोग वाणिज्यक रूप में हो रहा है। अब लविप्रा लीज गार्डन के नाम पर ली गई जमीनों को वापस लेगा, जिनका सात साल का पट्टा पूरा हो गया है। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि लीज होल्डर जमीन  का उपयोग वाणिज्यक रूप में कर रहे हैं। नाका अग्निकांड वाले होटल इसके उदाहरण है। यह बेल्ट पूरी तरह से वाणिज्यक हो गई है। लाइन से होटल मालिकों ने लीज गार्डन पर ली जमीन का उपयोग वाहनों को खड़ा करने और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं। हजारों स्क्वायर फिट जमीन आज तक प्राधिकरण वापस नहीं ले पाया। वहीं सड़के जरूर छोटी हो गई हैं। अगर गार्डन की जमीन का कुछ हिस्सा सड़कों के चौड़ीकरण के लिए दे दिया जाए तो सड़क जरूर चलने लायक हो जाएंगी।

नाका अग्निकांड में शामिल होटलों की जमीन भी होगी वापस। गार्डन के नाम पर व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं व्यापारी ।

राजधानी के कई मुहल्लों में लविप्रा ने लीज गार्डन अपने चहेतों को जारी किए थे। यह पट्टे उस वक्त सात साल के लिए दिए जाते थे और फिर नवीनीकरण हो जाया करते थे। इनमें सैकड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पट्टे की अवधि पूरी हो गई है। अब प्राधिकरण इनसे अपनी जमीन वापस लेना चाहता है।

लविप्रा के जमीन से हर साल कमा रहे लाखों : चारबाग में व्यापारी लीज गार्डन के नाम पर जमीन लेकर पूरा व्यापार कर रहे हैं। होटल मालिकों ने आज तक गार्डन के नाम पर ली गई भूमि पर एक पौधा भी नहीं लगाया होगा। कोई वहां टीन शेड् डालकर ढाबा चला रहा है तो किसी ने नौकरों के लिए अस्थायी कमरे बनवा रखे हैं। नजूल टीम द्वारा की गई जांच में यह बातें सामने आई है।

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